बेटे ने कहा- खेत सूखने से थे परेशान, प्रशासन और बिजली विभाग की लापरवाही से गई जान
महासमुंद | छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के ग्राम सिघनपुर में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक किसान ने बिजली कटौती से फसल बर्बाद होने और बढ़ते कर्ज के दबाव में अपने ही खेत में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक किसान पूरन निषाद का शव सुबह उसके खेत में नीम के पेड़ से लटका मिला। परिवार में मातम पसरा हुआ है, वहीं इस घटना के बाद प्रशासन पर भी सवाल उठने लगे हैं।
बिजली कटौती ने छीनी उम्मीद, डूबते कर्ज में टूट गया किसान
मृतक के बेटे तुलेश्वर निषाद ने बताया कि उनके पिता ने खेती के लिए ग्रामीण सेवा सहकारी बैंक से डेढ़ लाख रुपये का केसीसी कर्ज लिया था, साथ ही साहूकारों से भी करीब डेढ़ लाख रुपये उधार लिए थे। खेती की उम्मीद से उन्होंने खेत में बोरिंग करवाई, लेकिन बिजली कटौती ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया। उन्होंने कहा, “हर दिन छह से आठ घंटे की बिजली कटौती होती थी, कभी-कभी रातभर बिजली नहीं आती थी। फसल सूख गई और पिताजी तनाव में रहने लगे।”
बिजली विभाग पर गुस्सा, प्रशासन पर गंभीर आरोप
इस घटना ने एक बार फिर बिजली व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस नेता अंकित बागबाहरा ने प्रशासन और बिजली विभाग को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि, “हमने बार-बार प्रदर्शन किया, लेकिन सरकार और प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अगर समय रहते बिजली आपूर्ति सही की जाती, तो यह घटना न होती।”
कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश, लेकिन क्या मिलेगा न्याय?
इस मामले में महासमुंद कलेक्टर विनय कुमार लहंगे ने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि किसान की आत्महत्या का कारण बिजली कटौती थी या नहीं, यह जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। एसडीएम और पुलिस को पूरे मामले की गहराई से जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।
किसानों की बढ़ती आत्महत्या, कब जागेगा प्रशासन?
यह कोई पहली घटना नहीं है जब किसी किसान ने कर्ज और बिजली संकट से परेशान होकर आत्महत्या की हो। छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में किसान लगातार बिजली कटौती, महंगे इनपुट खर्च और कर्ज की मार से जूझ रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि कब तक किसान इस तरह अपनी जान गंवाते रहेंगे? और कब तक प्रशासन सिर्फ जांच के आदेश देता रहेगा?

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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