RTI में हेराफेरी पड़ेगी महंगी ! जानकारी छिपाने वाले अफसरों पर सीधे FIR, BNS की धाराओं में होगी सख्त कार्रवाई, जेल तय

राजधानी से जनता तक थनेश्वर बंजारे की रिपोर्ट 

नई दिल्ली -:नई भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 के लागू होने के बाद अब सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act, 2005) के तहत मांगी गई जानकारी को छिपाने, गलत जानकारी देने या दस्तावेज नष्ट करने वाले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई संभव हो गई है। अब तक RTI के उल्लंघन पर सिर्फ सूचना आयोग (CIC/SIC) के माध्यम से जुर्माना या अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती थी, लेकिन BNS की नई धाराओं के तहत सरकारी अधिकारियों पर सीधे आपराधिक मामला दर्ज कर FIR कराई जा सकती है।

क्या है पूरा मामला? :

देशभर में RTI कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों को सही जानकारी पाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

कई मामलों में अधिकारी सही जानकारी नहीं देते, कुछ मामलों में गलत या भ्रामक जवाब भेजते हैं,तो कई बार अधिकारी जानबूझकर जवाब देने में देरी करते हैं।लेकिन अब BNS, 2023 की नई धाराओं के तहत RTI में जानकारी रोकने पर सरकारी अधिकारियों पर सीधे फौजदारी मुकदमा दर्ज हो सकता है और उन्हें जेल भी हो सकती है।

RTI अधिनियम, 2005 के तहत अतिरिक्त दंड : 

अगर कोई अधिकारी RTI के तहत जानकारी देने से इनकार करता है या देरी करता है, तो सूचना आयोग (CIC/SIC) उसकी सैलरी से 250 रुपये प्रति दिन के हिसाब से जुर्माना वसूल सकता है (अधिकतम 25,000 रुपये तक)। इसके अलावा, सूचना आयोग उस अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का आदेश भी दे सकता है, जिससे उसकी नौकरी पर खतरा आ सकता है।RTI उल्लंघन पर FIR कैसे दर्ज कराएं? : अगर कोई सरकारी अधिकारी RTI का उल्लंघन करता है, तो आप निम्नलिखित प्रक्रिया 

अपनाकर उसके खिलाफ FIR दर्ज करा सकते हैं –

 

1. पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करें :सबसे पहले स्थानीय पुलिस थाने में लिखित शिकायत दें और उसमें BNS की उपरोक्त धाराओं का उल्लेख करें।पुलिस अधिकारी को स्पष्ट रूप से बताएं कि कैसे संबंधित अधिकारी ने RTI का उल्लंघन किया है।2. पुलिस FIR दर्ज करने से इनकार करे तो SP/IG से संपर्क करें :अगर थाना स्तर पर FIR दर्ज नहीं होती, तो जिला के पुलिस अधीक्षक (SP) या पुलिस महानिरीक्षक (IG) को लिखित शिकायत दें।साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) या लोकायुक्त में भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।3. RTI आयोग में शिकायत करें : सूचना आयोग (CIC/SIC) को शिकायत देकर RTI अधिनियम की धारा 20 के तहत दोषी अधिकारी पर आर्थिक दंड लगाने की मांग करें।4. कोर्ट में याचिका दायर करें : अगर पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती, तो न्यायालय में धारा 193 (BNS) के तहत याचिका दायर करें और न्यायालय से FIR दर्ज करने का आदेश लें।हाईकोर्ट में Writ Petition (रिट याचिका) दायर करके भी न्यायिक हस्तक्षेप मांगा जा सकता है।

RTI कार्यकर्ताओं के लिए चेतावनी और उपाय :

✔ RTI फाइल करने के बाद सभी पत्राचार की कॉपी अपने पास रखें।

✔ RTI की अपील की समय सीमा का ध्यान रखें और अपील का सही उपयोग करें।

✔ अगर कोई अधिकारी जानबूझकर RTI के जवाब में देरी करता है, तो उसकी शिकायत उच्च अधिकारियों को करें।

✔ BNS की धाराओं की जानकारी रखें और जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता लें।

 

अब RTI में हेरफेर करने वाले अफसरों की खैर नहीं :

BNS, 2023 के लागू होने के बाद RTI अधिनियम को और अधिक प्रभावी बना दिया गया है। अब सरकारी अधिकारियों के पास RTI का जवाब न देने या गलत जानकारी देने का कोई बहाना नहीं रहेगा। अगर कोई सरकारी अधिकारी RTI के तहत जवाब नहीं देता या गुमराह करता है, तो वह अब सिर्फ विभागीय कार्रवाई से नहीं बच सकता, बल्कि उसके खिलाफ FIR दर्ज कराकर उसे जेल तक भेजा जा सकता है।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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