पोड़ी उपरोड़ा व पाली जनपद में चल रहा प्रधानमंत्री आवास के नाम पर भारी खेल, योजना में अनेको हेराफेरी का आशंका

अभिषेक तिवारी

कोरबा। केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब और बेघर परिवारों को पक्के मकान उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 2016 में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की शुरुआत की गई, ताकि 2024 तक देश के ग्रामीण इलाकों के जरूरतमंद नागरिको के पास अपना पक्का मकान हो। लेकिन अपने लक्ष्य से पीछे होने की वजह से सरकार द्वारा इस पर काफी तेजी से कार्य कराया जा रहा है। जिससे 2027 तक गरीबों और बेघर परिवारों का खुद के पक्के मकान का सपना पूर्ण किया जा सके। लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को पक्के मकान देने के जिले में सरकारी प्रयासों के बीच पोड़ी उपरोड़ा और पाली जनपद के ग्राम पंचायतों में चल रहे भ्रष्ट्राचार और धांधली इस महत्वकांक्षी योजना की सफलता में बाधा बनने का आशंका। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना को वास्तविक रूप से अमलीजामा पहनाने के प्रयासों को पोड़ी उपरोड़ा व पाली जनपद के नौकरशाहों की मिलीभगत से गरीब, बेघर तथा लाचार जरूरतमंदों को सरकारी पक्का मकान हक के रूप में नही, बल्कि रिश्वत और अहसान के रूप में मिलने कि आशंका। वहीं कई स्तरों पर व्यापक भ्रष्ट्राचार को अंजाम दिया जा रहा है। सरकार को लगता है कि डीबीटी यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के कारण भ्रष्ट्राचार कम हुआ है और डीबीटी के तहत सरकारी योजनाओं के पैसे गरीबों के बैंक अकाउंट में सीधे जाते है। वहीं आधार नंबर को भ्रष्ट्राचार रोकने के लिए हथियार के तौर पर देखा गया, पर यहां भी नाम और फोटो में जमकर फेरबदल कर भ्रष्ट्राचारी अपने मंसूबो को अंजाम देने में सफल रहे है। प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्ट्राचार के जो अनेको संकेत मिले है उनमें इस योजना का लाभ दिलाने और राशि की क़िस्त जारी करने के एवज में रिश्वत की मांग, जो मर गए है उनके नाम पर भी प्रधानमंत्री आवास की राशि आहरण, योजना के असली लाभार्थी कोई और व सरकारी कागज पर नाम किसी और का, दूसरों के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाकर पैसे निकाले गए। अपात्र लोगों को पात्र बना नियमो के खिलाफ आवास आबंटन किया गया और लोगो के मनरेगा जाबकार्ड का फर्जी उपयोग कर गांव के किसी दूसरे व्यक्ति को पीएम आवास का लाभ पहुँचाने जैसे खेल किये जाने की बाते सामने आई है। पाली जनपद की बात करें तो एक पंचायत में निराश्रित व्यक्ति के नाम पर पीएम आवास जारी हुआ। जिसके बाद ही उस वृद्ध व्यक्ति की मृत्यु हो गई। जबकि पैसा हड़पने के लिए मृतक को जिंदा कर दिया गया और तीन किश्तों में प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि भी निकाल ली गई। लगता है जिम्मेदार वर्ग मृतक के लिए स्वर्ग में घर बनाने को आतुर थे। मामले की लिखित शिकायत जनपद सीईओ के पास एक माह पूर्व ग्रामीणों द्वारा की गई है, लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई का अता पता नही है। पोड़ी उपरोड़ा जनपद की बात करें तो प्रधानमंत्री आवास योजना के अनेको लाभार्थियों को अवैध रूप से पूरी धनराशि वितरित कराई गई है, जिनमे लोगों ने अपने घर का निर्माण नही कराया और पुराने घर को रंग- रोगन कर नया रूप दिया गया। ये सभी हेराफेरी पीएम आवास लाभार्थी के पहचान और दस्तावेज के फर्जी वेरिफिकेशन तथा फर्जी जियोटैग के सहारे हुआ अथवा हो रहा है। जिसमे आवास मित्र, रोजगार सहायक और प्रधानमंत्री आवास योजना के अधिकारी की सम्मिलित भूमिका नजर आ रही है। जबकि जिन लाभार्थियों को योजना का लाभ मिला है, उसे अपना हक नही अहसान के तौर पर लिए है। क्योंकि अगर वे अपना अधिकार मानते तो उन्हें रिश्वत देने की जरूरत नही पड़ती। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में कच्ची मकान में गुजर- बसर करने वाले कई परिवार सालों से प्रधानमंत्री आवास की मांग कर रहे है, जिनकी सुनने वाला शायद कोई नही है। ये सब घपले- घोटाले, रिश्वतखोरी की सबसे बड़ी वजह जनपद अधिकारी पर प्रशासनिक लगाम नही होना बताया जा रहा है। ऐसे में संबंधित जनपदो अंतर्गत निर्मित प्रधानमंत्री आवास योजना की भौतिक सत्यापन कराए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। जिसमे संभवतः चौकाने वाले तथ्य उजागर होंगे।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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