छत्तीसगढ़ में हाल ही में एक बड़ा प्रशासनिक निर्णय लिया गया है, जिसके तहत अब राज्य के सभी शासकीय कार्यालय सप्ताह में छह दिन खुले रहेंगे और केवल रविवार को अवकाश रहेगा। यह बदलाव कर्मचारी वर्ग के लिए किसी झटके से कम नहीं है, क्योंकि इससे पहले उन्हें सप्ताह में दो दिन विश्राम का अवसर मिलता था।
नई व्यवस्था के लागू होते ही शासकीय कर्मचारियों में गहरा असंतोष देखने को मिल रहा है। अंदरखाने से मिल रही जानकारियों के अनुसार, कई विभागों में इस फैसले को लेकर विरोध की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। कर्मचारियों का मानना है कि यह बदलाव उनकी निजी ज़िंदगी और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालेगा, खासकर ऐसे समय में जब कार्यस्थल पर वर्क-लाइफ बैलेंस की बात जोर पकड़ रही है।
हालांकि, उच्च स्तर पर तर्क यह दिया जा रहा है कि इससे सरकारी कामकाज में तेजी आएगी और जनता को अधिक समय तक सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि पहले से ही स्टाफ की कमी झेल रहे विभागों पर अब अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा।
सरकार की ओर से इस फैसले पर कोई विस्तृत स्पष्टीकरण नहीं आया है, जिससे और भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कर्मचारी संगठनों ने संकेत दिए हैं कि अगर जल्द ही इस पर पुनर्विचार नहीं किया गया, तो विरोध दर्ज कराने के लिए वे वैकल्पिक रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे
अब देखना यह होगा कि जनता को अधिक सेवाएं देने की इस कोशिश में प्रशासन कर्मचारी वर्ग के विश्वास को कैसे संभालेगा।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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