ब्यूरो:-भरत दुर्गम (विहान)
भोपालपट्टनम जनपद में भ्रष्टाचार का बोलबाला,अधिकारी मौन,नक्सल दहशत बनी भ्रष्टाचारियों की ढाल
इस गंभीर मामले में अब तक कार्यवाही का कोई अतापता नहीं
बीजापुर। एक ओर जहां सरकार विकास की योजनाओं को अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंचाने के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर धुर नक्सल प्रभावित नेशनल पार्क इलाके में योजनाएं फाइलों तक ही सीमित रह गई हैं। हाल ही में सामने आए एक गंभीर मामले में यह खुलासा हुआ है कि 15वें वित्त आयोग की राशि का दुरुपयोग कर लाखों रुपये की बंदरबांट की गई है। नक्सलियों के डर का फायदा उठाकर जनपद और पंचायत स्तर के अफसरों ने विकास की राशि को निजी संपत्ति की तरह खर्च कर डाला।
आंगनबाड़ी का अस्तित्व नही, मगर भारी मरम्मत
ब्लॉक की एड़ापल्ली, बड़ेकाकलेड, सेंड्रा और केरपे पंचायतों में उन आंगनबाड़ी केंद्रों के नाम पर मरम्मत की राशि निकाली गई है, जो वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं हैं। पड़ताल करने पर मामला सामने आया कि कुल 39 आंगनबाड़ी केंद्र कागजों पर संचालित हैं, पर किसी के पास भवन नहीं है। सहायिकाएं बच्चों को अपने घरों में बैठाकर संचालन कर रही हैं — फिर भवन की मरम्मत किसकी हुई?
पूर्व में जेल गए सचिव फिर बने ‘ठेकेदार’
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एड़ापल्ली और बड़ेकाकलेड़ के पंचायत सचिव गोटा समैया, जो पहले भ्रष्टाचार के मामले में जेल जा चुके हैं, उन्हें न केवल बहाल किया गया बल्कि दो पंचायतों की जिम्मेदारी भी दे दी गई। अब इनका नाम फिर से 15वें वित्त में गड़बड़ियों के केंद्र में है।
सिर्फ एक वेंडर को दिए गए लाखों रुपए
पूरे घोटाले में एक ही सप्लायर फर्म के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान किया गया है, वह भी बिना किसी जियो टैग, प्रामाणिक फोटो या वाजिब प्रक्रिया के। बिना जांच के बिल पास कर दिए गए और निर्माण/मरम्मत के नाम पर बड़ा खेल खेला गया।
नक्सल बहाना, भ्रष्टाचार सुहाना
अधिकारियों का गांवों में ना जाना नक्सलवाद का कारण बताया जा रहा है, लेकिन इस डर की आड़ में गांव-गांव भ्रष्टाचार की फसल लहलहा रही है। जिन योजनाओं का लाभ बच्चों, महिलाओं और गरीबों को मिलना था, वो भ्रष्ट तंत्र की भेंट चढ़ चुकी हैं।
निगरानी और जवाबदेही की मांग
यह मामला सिर्फ भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि निरीक्षण तंत्र की उदासीनता का भी है। आवश्यकता है कि इस तरह के मामलों की उच्च स्तरीय जांच हो और जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर कानूनी कार्रवाई की जाए।
क्या कहते है सीईओ
इस बारे में प्रभारी सीईओ दिलीप उइके से कई बार उनका पक्ष लेने के लिए उन्हें फोन पर सम्पर्क किया गया किंतु उन्होंने फ़ोन रिसीव नही किया।उक्त अधिकारी द्वारा फोन नही उठाना,और इस बारे में किसी भी तरह की कोई जवाब नही देना, कई सवालो के घेरे में प्रभारी सीईओ दिलीप उइके भी है।अगर इस पर जांच होगी तो कई अधिकारी भी नप सकते है ?.

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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