राजधानी से जनता तक कोरबा।राज्य और केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चलाया जा रहा जल जीवन मिशन ग्राम पंचायत चूईंया में सफेद हाथी साबित हो रहा है। दो वर्ष पूर्व इस योजना के तहत लाखों रुपये की लागत से टंकी और पाइपलाइन बिछाने का कार्य किया गया, लेकिन आज तक गांव के लोगों को घरों में पानी मिलना शुरू नहीं हो सका है।
79 लाख रुपये की टंकी बनी शोपीस
ग्रामीणों के अनुसार, वर्ष 2023 में जल जीवन मिशन के तहत गांव में एक पानी टंकी का निर्माण कार्य कराया गया, जिसकी लागत लगभग ₹79.21 लाख थी। साथ ही घरों तक नल कनेक्शन देने का काम भी शुरू किया गया, परंतु आज भी अधिकांश घरों में अधूरे नल कनेक्शन हैं। कहीं पाइप नहीं बिछे हैं तो कहीं नल लगे तो हैं, मगर उनमें पानी नहीं आता।
जमीनी हकीकत में टंकी है, पानी नहीं
गांव के कई ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके घरों में लगाए गए नल केवल “औपचारिकता” बनकर रह गए हैं। न तो सही से स्थापना की गई और न ही इनसे पानी की आपूर्ति शुरू की गई। ऐसे में गांव की बड़ी आबादी आज भी जल के लिए पारंपरिक स्त्रोत जैसे नदी, कुआं और चापाकल पर निर्भर है।
जल संकट से जूझते ग्रामीण
गांव में मौजूद सीमित जल स्रोत बड़ी संख्या में ग्रामीणों की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। गर्मी के इन दिनों में जल संकट और भी गहराता जा रहा है। कई घरों में महिलाओं को दूर-दराज तक पानी लाने के लिए जाना पड़ता है।
ग्रामीणों का आरोप है कि योजना को लागू करने में भारी लापरवाही बरती गई है। कार्य अधूरा छोड़ दिया गया है और निरीक्षण या फॉलोअप की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। योजना का लाभ न मिलने से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है और वे जल्द से जल्द समाधान की मांग कर रहे हैं।
गांववासियों ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई करें और जल्द से जल्द अधूरी योजना को पूर्ण कर जल आपूर्ति शुरू कराई जाए।

Author: Sangam Dubey
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