जिला संवाददाता-चरण सिंह क्षेत्रपाल राजधानी से जनता तक
देवभोग – प्रकृति वनस्पति फल फूलों से औषधियां बनाई जाने में महत्वपूर्ण कारगार साबित हो रही है। जैसे कि ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे छोटे बाल बच्चे व दाई दीदी बुजुर्ग लोग अपने खेतों से तरह तरह के प्राकृतिक वनस्पति फल फूल, जड़ तना इत्यादि का संग्रहण कर किसी दुकानों में बेच दिया जाता है। चूंकि गांव में हर माह में फल, फूल, जड़ व तनावों से औषधि के रूप उपयोग किया जाता है।शरीर को स्वस्थ बनाए रखने हेतु हर तरफ की बिमारियों से निजात पाने के लिए नीम का पत्ता व फल फूल औषधि में काम आता है। आज 65 साल की एक बुजुर्ग महिला……. ने अपने खेतों में नीम का फल बिन रही थी और उसी यह पूछा गया कि नीम का फल दुकान में बेचते है तो दुकानदार आपको कितना रूपए प्रति किलो में भुगतान किया जाता है, तो उन्होंने यह बताई कि हमें निरमा साबुन और तेल का खर्चा मिल जाता है। इसके पहले बैर, इमली, महुआ बिन कर अपनी दैनिक घरेलू उपयोग सामग्रियां खरीदी थी, अब नीम का फल खेतों खलिहानों में ज्यादा मात्रा में पेड़ लगें हुए हैं। इसी दस बारह दिनों में लगभग तीन चार बोरी बिन लेते है।यह बिन पूंजी लगाए आय सृजन का माध्यम में से एक महत्वपूर्ण स्रोत है। बुजुर्ग महिला ने बताई कि नीम पत्ती को खुजली,दाद व पेट की क्रिमी से छुटकारा मिलता है।नीम का जड़ से लेकर फल फूल तक इसका घरेलू नुस्खे सेहत में मददगार मिलती है।नीम का पत्ता चेचक के उपयोग किया जाता है। इसके फल से साबून व तेल बनाया जाता है। साबुन और तेल शरीर में खाज खुजली, फोड़ा फुंसी में काम आता है। किसान लोग नीम पत्ती को चना मूंग,राहल में पत्तियों को पीसकर चूर्ण बनाकर कीड़े मकोड़े से सुरक्षित से बचा कर रखा जाता है। नीम का पेड़ को मां आदि शक्ति देवी का स्वरूप माना जाता है। इस लिए सभी वृक्षों में से नीम का वृक्ष सर्वोत्तम माना गया है।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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