गरियाबंद-:छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल जिले गरियाबंद की ग्राम पंचायत रुवाड़ और लदाबाहरा में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में घोटाले का बड़ा मामला सामने आया है। यहां दर्जनों आदिवासी लाभार्थियों को अधूरे मकानों के नाम पर भुगतान कर दिया गया, लेकिन न तो मकान बने और न ही लाभार्थियों को उनका हक मिला
3 जून को जनदर्शन में शिकायत, 7 जून को विधायक जनदर्शन में गुहार – फिर भी प्रशासन मौन
इस घोटाले को लेकर 3 जून को कलेक्टर जनदर्शन में और 7 जून को विधायक रोहित साहू के जनदर्शन में ग्रामीणों ने लिखित शिकायत दी। इसके बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
विधायक रोहित साहू का आश्वासन
शिकायत पर प्रतिक्रिया देते हुए विधायक रोहित साहू ने कहा कि वे मामले को गंभीरता से लेकर जिला पंचायत सीईओ को जांच हेतु पत्र लिखेंगे और दोषियों पर सख्त कार्रवाई कराएंगे।
घोटाले की चार परतें – आदिवासी हितों के खिलाफ एक संगठित साजिश
1️⃣ फर्जी जिओ टैगिंग – डिजिटल घोटाले का नया तरीका
बिना निर्माण, पुराने फोटो और गलत लोकेशन डालकर मकान को “पूर्ण” दिखाया गया।
पोर्टल पर अपलोड करके राशि जारी कर दी गई।
2️⃣ रिश्वत की खुली मांग – गरीबों से भी वसूली
लाभार्थियों ने बताया कि मकान की किश्त पाने के लिए ₹5000 तक रिश्वत देनी पड़ी।
फिर भी अधूरे मकान, न छत, न राहत।
3️⃣ मूल्यांकन और निरीक्षण सिर्फ कागजों में
न कोई फील्ड विज़िट, न तकनीकी सत्यापन।
तकनीकी सहायक, रोजगार सहायक और आवास प्रभारी की मौन सहमति या सीधी मिलीभगत।
4️⃣ दोषी कौन? जवाबदार तो सभी, लेकिन कार्रवाई शून्य
पदनाम भूमिका में लापरवाही / संलिप्तता
आवास मित्र फर्जी जिओ टैगिंग, रिश्वतखोरी
रोजगार सहायक मस्टर रोल और रिकार्ड में गड़बड़ी
तकनीकी सहायक झूठी मूल्यांकन रिपोर्ट
जनपद CEO सत्यापन में लापरवाही, जवाबदेही नहीं
जिला पंचायत अधिकारी नियंत्रण में विफलता
कलेक्टर गरियाबंद प्रशासनिक जिम्मेदारी तय नहीं
2018-2025: कागजों में 30से अधिक मकान पूरे, जमीन पर अधूरे,प्रति मकान ₹1.20 लाख की दर से लाखों रुपये का बंदरबांट,सिर्फ रुवाड़ पंचायत में ही इतनी अनियमितता, तो अन्य पंचायतों का क्या हाल होगा?
ग्रामीणों के तीखे सवाल
क्या हर पंचायत में आवास योजना का जमीनी ऑडिट नहीं होना चाहिए?
जिनके नाम पर पैसा निकला, उन्हें क्या फिर से मकान मिलेगा?
दोषियों को जेल भेजा जाएगा या फिर शिकायत पत्र फ़ाइल मे दबे रहेंगे
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का रुख
> “अगर प्रधानमंत्री आवास योजना में लापरवाही पाई गई तो कलेक्टर तक की जवाबदेही तय होगी। कोई भी कर्मचारी या अधिकारी पैसे की मांग करता है तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी।”
आवेदक की चेतावनी
अगर जिला प्रशासन जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो वे रायपुर जाकर मुख्यमंत्री से मिलकर सबूत सौंपेंगे और दोषियों पर FIR की मांग करेंगे।
यह केवल आर्थिक घोटाला नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के भरोसे की हत्या है।
यदि इस पर जल्द और कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी जनकल्याणकारी योजना पर आम जनता का भरोसा डगमगा जाएगा — और गरीबों के सपनों का घर फिर एक अधूरा ढांचा बनकर रह जाएगा।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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