पुरनापानी में करोड़ों रुपए का ‘जल जीवन मिशन ‘ निर्माण कार्य चढ़ा भ्रष्टाचार के भेट 

जिला संवाददाता-चरण सिंह क्षेत्रपाल (गरियाबंद)

गरियाबंद – देवभोग तहसील क्षेत्र में जल जीवन मिशन योजना संचालित कई साल हो चुके है, केन्द्र व राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजना में शासन करोड़ रुपए की लागत से सर्वोच्च स्तर पर हर घर जल की उपलब्धता सुनिश्चित हेतु करोड़ों रुपए स्वीकृति दी गई थी। जल जीवन मिशन योजना से आस-पास पड़ोस गांव के लोगों को भी जल आपूर्ति नहीं हो पा रही है जल जीवन मिशन से ग्रामीण जनताओं को कोई भी सुविधाएं नहीं मिल रही है। जमीनी हकीकत देखा जाए तो नल-जल कनेक्शन वाटर सप्लाई पाइप लाइन बिछाई गई है लेकिन अभी तक एक बूंद पानी ग्रामीणों के नसीब में नहीं मिल पा रहा है ।

ऐसा क्या वजह है जोकि छत्तीसगढ़ शासन -प्रशासन खामोखाम देख रही है,ठैकेदार नदारत अब ग्रामीण आने वाले बारिश में चिंता ओर गहरा असर डाल दिया है। क्यों कि ग्रामीण हर साल तेल नदी की झरिया पानी पीने को पसंद करते है, इस क्षेत्र के सैकड़ों विवाहित महिलाएं , बहनें घडा सिर में उठाए रोज अपनी जान जोखिम में डालकर कई क़दम दूरी पैदल चलती हुई, वह तेल नदी के पानी के लिये रोज आती है। जैसे ही पानी टंकी निर्माण कार्य पूर्ण हो चुकी तो जनता की कुछ उम्मीद थी, लेकिन अब वह उम्मीद गहरा ठोस पहुंचा ओर टूटकर चुकना चुर हो गया है।

अधिक बारिश में नदी का पानी बहाव तेज होने पर भी पुराना पानी की महिलाएं व बहनें झरिया पानी लाने के लिए प्रतिदिन तेल नदी को आती है।कई बार जल जीवन मिशन के बारे में जानकारी दी गई है,मगर न तो विभाग संचेत है और न ही जिला प्रशासन। स्थानीय ग्रामीणों द्वारा बताई गई जानकारी के मुताबिक हर महीने तेल नदी का झिरिया पानी पीना पड़ता है। बारिश में तो हालात और भी बद्तर हो जाता है। जिस जल जीवन मिशन योजनांतर्गत ग्रामीण जनों को घर में रहकर जल की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाने हेतु केंद्र सरकार ने करोड़ों रुपए मंजूर हुए हैं, तो उस पर तीन साल में भी हर घर जल पहुंचाने में कामयाब नहीं हो पाया है।

नल-जल योजनाएं के कार्य को कागजों में, जमीन पर खोखला

पानी टंकी निर्माण की जिम्मेदारी पीएचई विभाग के द्वारा ही जारी किया गया था, जिससे निलामी में ठेकेदार ने लेकर कार्य में सफलता प्राप्त नहीं हो पाया है, लेकिन कुछ महीनों में ही सब रूक गया। ठेकेदार साइट छोड़कर चले जाने की खबर है, परंतु विभागीय अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

गांव में जल की असुविधाएं हो रही है तो पुरनापानी के वरिष्ठ ग्रामीण हिमांचल निधी ने बताया कि, जल जीवन मिशन को आधा-अधूरा कार्य किया गया है और अब तक कार्य पूर्ण कर ग्रामीण जनताओं को पानी की किल्लत से निजात नहीं मिल पा रही है,बारह महीने नदी का झिरिया पानी पीने को मजबूर हैं,विभाग के अधिकारी व ठेकेदार इसके बारे में जानकारी मिल गई है । लेकिन कोई भी अधिकारी व कर्मचारी संज्ञान में नहीं ले रहे है।

पिछले कुछ सालों से ग्रामीण जल जीवन मिशन योजना से लाभ लेने हेतु मांग को लेकर अखबारों व संबंधित जिम्मेदारियों को अवगत कराया जा चुका है।लेकिन आज वह उम्मीदें कायम नहीं हो पा रही है बल्कि यह धीरे-धीरे खोखला साबित हो रही है। अब ग्रामीणों ने ठान लिया गया है चक्काजाम कर शासन -प्रशासन को ध्यानाकर्षित करने के लिए यह नीति अपनाई जा सकती है। यदि एक महीने के अंदर जल जीवन मिशन योजना से ग्रामीण जनों को लाभ नहीं मिलता है तो लगभग 40 गांवों के लोग इस जन आंदोलन में शामिल होने की संभावनाएं दिखाई दे रही है।

लेकिन क्षेत्र में अधिकांश गांवों में जल जीवन मिशन योजना से ग्रामीण जनों को एक बूंद पानी पीने को नहीं मिल पा रहा है धूप गर्मियों व बारिश में बारह महीने तेल नदी के झरिया पानी पीना पड़ रहा है मजबूर।

आखिर जिम्मेदार कौन ?

जब प्रशासन , जनप्रतिनिधि और विभागीय अधिकारी व कर्मचारी सब चुप है, तो ग्रामीणों का आक्रोश जायज है, अभी भी मौका है शासन -प्रशासन इसके प्रति जल्द संज्ञान में ले, नहीं तो आर-पार की जनांदोलन बन सकता है।

ग्रामीणों का मुख्य मांगें है –

जल जीवन मिशन योजनांतर्गत ग्रामीण अंचलों में नल-जल योजना से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराई को जाए।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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