जिला संवाददाता-चरण सिंह क्षेत्रपाल, गरियाबंद

गरियाबंद – देवभोग क्षेत्र में अधिकांश गांवों के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय भवनें अति जर्जर होने के कारण शिक्षक छात्र -छात्राओं को वैकल्पिक व्यवस्था के माध्यम से शिक्षा अध्यापन कराया जा रहा है। ग्राम पंचायत कोसमकानी के आश्रित ग्राम उपरपीटा में राजधानी से जनता तक संवाददाता ख़बर कवरेज के दौरान शिक्षक सुनील कुमार हंसराज ने अपने स्कूल में पढ़ने वाले सभी छात्र – छात्राओं को मंगल भवन में कक्षा संचालित किया जा रहा था,जब शिक्षक से यह कहा गया कि प्राथमिक विद्यालय में छात्रों को क्यों बैठाकर पढ़ाया नहीं जा रहा है, तो उन्होंने यह बताया कि शासकीय प्राथमिक शाला भवन अति जर्जर होने की वजह से जैसे ही अचानक बारिश गिरने लगी तो छत ऊपर से पानी टपकना शुरू हो जाता है, जिससे छत की पापड़ी निकल रही है इसीलिए आज से गांव व जनप्रतिनिधियों ने छात्र-छात्राओं को शिक्षा अध्यापन कराने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करवाई गई है। छात्र -छात्राओं को सुव्यवस्थित ढंग से पढ़ाने में व्यवस्था नहीं हो रहा है। चूंकि प्राथमिक शाला में पहली से पांचवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों को अलग – अलग रूम में कक्षा संचालित किया जाता है। मंगल भवन एक ही रूम है जहां दर्जनों छात्र -छात्राओं को एक साथ बिठाकर पढ़ाया जाता है।
यदि इस तरह से सभी छात्र छात्राओं को सामुहिक रूप से विभिन्न विषयों का अध्यापन कराया जाता नामुमकिन है, इस तरह की स्थिति बनी रही तो छात्र-छात्राओं का मानसिक विकास पर काफी गहरा प्रभाव पड़ सकता है, आगे बढ़ना छात्र -छात्राओं के लिए भारी दिक्कत हो सकती है। कक्षावार छात्र छात्राओं को अलग – अलग विषयों का शिक्षा अध्ययन कराई जाती है , और इस तरह नहीं बन नहीं रहा है, आगे चलकर छात्र -छात्राओं में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। शिक्षक हंसराज ने और भी यह बताया कि शिक्षा सत्र 2025-26 के तहत जिले में शैक्षणिक वातावरण को प्रोत्साहित करने बच्चों को स्कूल में जोड़ने के उद्देश्य से शासकीय स्कूलों कॉलेजों में प्रवेशोत्सव आयोजित कि जा रही है।खास बात तो यह है, कि कुछ गांवों के ऐसे कई ग्रामीण छात्र -छात्राएं है कि सुव्यवस्थित ढंग से शिक्षा अध्ययन नहीं कर पाते है।यह जटिल समस्याएं काफी लंबे दिनों से नदारत है , इसी तरह और भी कई समस्याएं है, जैसे कि स्कूल में शौचालय अव्यवस्थित है, तथा मध्यान्ह भोजन प्रंबधन हेतु रसोई कक्ष अव्यवस्थित है। स्कूली छात्रा – छात्राओं के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुव्यवस्थित पूर्ण रूप से नहीं हुई है। स्कूल शिक्षा समिति, शिक्षक ,शिक्षिका और छात्र – छात्राएं कठिन परिस्थितियों से जूझना आम बात बना हुआ है। इसी लिए शासन-प्रशासन इन तमाम मुख्य बिन्दुओं को लेकर संज्ञान में लेते हुए समस्या का समाधान जल्द से जल्द किया जाए।
ग्रामीण हाथी राम नेताम ने बताया कि हमारे गांव के बच्चे सार्वजनिक मंगल भवन में बैठ कर शिक्षा अध्ययन कर रहे है, शासन प्रशासन से मांग यह है कि शासकीय प्राथमिक शाला भवन अति जर्जर हो चुका है उसे जल्द से जल्द मरम्मत कराई जाए ताकि हमारे बाल बच्चे स्कूल में (फ्री मानसिक) तनाव मुक्त रहित शिक्षा अध्ययन कर पाए।
मध्याह्न भोजन बनाने में भारी दिक्कतें किचन शेण्ड भी जर्जर
शासकीय प्राथमिक शाला उपरपीटा में सेवारत रसोईया तुलसे बाई नेताम ने बताई कि मैं कई सालों से रसोईया पद पर कार्यरत हूं,जब से मैं स्कूल का मध्यान्ह भोजन बनाती आ रही हूं ,तब से कीचन शेण्ड अव्यवस्थित है, अभी फिलहाल कुछ ही दिनों से स्कूल संचालित हुई है तब से पुरानी अतिरिक्त रूम में मध्यान्ह भोजन बनाकर स्कूली छात्र -छात्राओं को खिलाया जाता है। अभी पानी बरसता का मौसम लग चुकी है, भवन की छत लिंकेज होने से कमरे में पानी भर जाती है, रविवार को अचानक अधिक बारिश होने से स्कूल रूम में छात्रों को बैठने योग्य नहीं हो रहा है, इसी लिए शासकीय वैकल्पिक व्यवस्था मंगल भवन में कक्षा संचालित किया जा रहा है तो स्कूल और मंगल भवन की दूरी लगभग 200 मीटर दूरी तय कर बच्चे मध्याह्न भोजन खाने के लिए आते है ।
उन्होंने यह बताई कि शासन -प्रशासन स्कूली बच्चों के भविष्य को देखते हुए इन सारे अव्यवस्थित को संज्ञान में लेते हुए जल्द से जल्द सुव्यवस्थित किया जाए। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब पिछड़े बाल बच्चें ठीक ढंग से शिक्षा अध्ययन करने में सफल हो सकें।
उपरपीटा स्कूल में अध्यनरत नवीन कुमारी छात्रा ने बताई कि हमें शिक्षक एक ही रूम में बैठाकर पढ़ाया लिखाया जाता है जिससे कि हमें बहुत बाधाएं उत्पन्न हो रही है क्योंकि पहली से लेकर पांचवीं कक्षा तक सभी छात्रों को एक ही रूम में बैठाकर पढ़ाया जाता है, अधिक संख्या में बैठने की वजह से शोर सरावां अधिक होने से मानसिक तनाव बढ़ जाती है, ठीक ढंग से शांत भाव से बैठकर शिक्षा अध्ययन करने में बांधा उत्पन्न हो रही है। इस लिए हम सभी स्कूली छात्र छात्राएं शासन -प्रशासन से अपेक्षाएं हैं कि जर्जर स्कूल भवन को जल्द से जल्द मरम्मत कराई जाए, ताकि हमें सुव्यवस्थित ढंग से पढ़ने -लिखने में आसानी होगी ।
इस तरह से देवभोग क्षेत्र में कई ऐसे गांवों है जहां स्कूल भवनें अति जर्जर बना हुआ है छात्र छात्राएं ठीक ढंग से बैठ कर शिक्षा अध्ययन नहीं कर पा रहे हैं, स्कूल में बच्चे पढ़ने – लिखने से काफी बांधा उत्पन्न हो रही है।
इस तरह की स्थिति बीते साल में सुकलीभाठा नवीन आश्रित ग्राम डाबरी भाठा स्कूल,केन्दूवन प्राथमिक शाला भवन व अन्य कई ऐसे गांवों है जहां स्कूल भवनें अति जर्जर हो गई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग को जर्जर स्कूलों को मरम्मत किए जाने के लिए लाखों करोड़ों रुपए स्वीकृत दी गई थी।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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