रायपुर /आज की तनावपूर्ण और तेजी से बदलती जीवनशैली में आत्मरक्षा अब विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बन गई है। इसी उद्देश्य को लेकर रायपुर जिले के ग्राम दोंदेकला निवासी डॉ. मन्नूलाल चेलक बीते तीन दशकों से कराते के माध्यम से आत्मरक्षा की ज्योति जला रहे हैं।

ब्लैक बेल्ट 3 डॉन, पीएचडी (मार्शल आर्ट, कराते, जूडो, किक बॉक्सिंग, पायजन टच) से सम्मानित डॉ. चेलक वर्ष 1995 से छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में छात्र-छात्राओं, महिलाओं और युवाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दे रहे हैं। अब तक उन्होंने लगभग 11,973 लोगों को कराते की बारीकियों से प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाया है।
धमतरी, कुरूद, चारामा, कांकेर, सिहावा, नगरी, रायपुर, खरोरा सहित कई क्षेत्रों में उन्होंने विशेष शिविरों के माध्यम से कराते को आम लोगों तक पहुंचाया है। लोग उन्हें सम्मानपूर्वक “कराटे मास्टर” के नाम से जानते हैं।
कराते के माध्यम से केवल आत्मरक्षा ही नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, आत्मसंयम, शारीरिक और मानसिक फिटनेस, साहस, एकाग्रता जैसे गुणों का भी विकास होता है। यह स्वास्थ्य, संतुलन और आत्मसाक्षात्कार का एक प्रभावशाली माध्यम है।
डॉ. चेलक द्वारा सिखाया जाने वाला “पायजन टच” एक प्राचीन भारतीय युद्ध कला है, जिसे वर्मम या कल्लरी पय्यूट के नाम से भी जाना जाता है। इसमें शरीर के 108 विशेष बिंदुओं की जानकारी होती है, जिनका उपयोग किसी की रक्षा या उपचार के लिए किया जा सकता है।
कराते प्रशिक्षण को वे योग की एक आधुनिक शाखा मानते हैं, जिससे तनाव नियंत्रण, रक्तचाप संतुलन, श्वसन सुधार, इम्यूनिटी बूस्ट और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
सिर्फ मार्शल आर्ट तक सीमित न रहते हुए डॉ. चेलक राष्ट्रीय मासिक पत्रिका “धरोहर हमारे गौरव” के प्रधान संपादक के रूप में साहित्य सेवा भी कर रहे हैं।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “कराते हर उम्र के लोगों के लिए है, लेकिन विशेषकर बेटियों को यह प्रशिक्षण जरूर लेना चाहिए।” उनके इस समर्पण को कई सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं।
डॉ. मन्नूलाल चेलक आज छत्तीसगढ़ में कराते के माध्यम से न केवल आत्मरक्षा का संदेश दे रहे हैं, बल्कि एक स्वस्थ और जागरूक समाज की नींव रख रहे हैं।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
राजधानी से जनता तक न्यूज वेबसाइट के आलावा दैनिक अखबार, यूटयूब चैनल के माध्यम से भी लोगो तक तमाम छोटी बड़ी खबरो निष्पक्ष रूप से सेवा पहुंचाती है