छुईखदान तहसील कार्यालय में लगी पानी की टंकी में लीकेज: हो रही पानी की बर्बादी, पीने को तरस रहे ग्रामीण

छुईखदान । तहसील कार्यालय परिसर में पानी की टंकी से भारी लीकेज हो रहा है, और यह लीकेज बीते कई दिनों से बदस्तूर जारी है। एक ओर जहां नगर के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान हैं, वहीं सरकारी भवनों से साफ पानी सड़कों पर बहकर व्यर्थ चला जा रहा है। यह नजारा न केवल जल प्रबंधन की असफलता को दर्शाता है, बल्कि प्रशासन की उदासीनता पर भी सवाल खड़े करता है।
“शासकीय दफ़्तरो में ही उड़ाई जा रही सरकारी योजनाओं की धज्जियाँ “
एसडीएम व तहसील कार्यालय एक ही भवन से संचालित होते हैं, लेकिन जिम्मेदारों ने अब तक लीकेज सुधारने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। स्थानीय नागरिकों के अनुसार, दिनभर साफ पानी बहता रहता है, और हजारों लीटर पानी यूं ही ज़मीन में समा जाता है।
> “जहां आम जनता पानी की एक-एक बूंद के लिए जूझ रही है, वहीं सरकारी दफ्तरों से रोज़ाना पानी की नदियां बह रही हैं। यह कैसा जल प्रबंधन?”
*— स्थानीय नागरिक*
*महिलाओं के लिए शौचालय की भी नहीं सुविधा*
एक ओर जल की बर्बादी है, तो दूसरी ओर तहसील व एसडीएम कार्यालय में महिलाओं के लिए शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। ना कोई सुलभ शौचालय है, ना ही महिला विश्राम कक्ष। जिससे दूर-दराज़ से आई महिलाओं को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है।
*”स्वच्छ भारत” और “जल जीवन मिशन” की जमीनी हकीकत उजागर*
जहां एक तरफ सरकार जल संरक्षण और स्वच्छता को लेकर अभियान चला रही है, वहीं तहसील जैसे प्रमुख सरकारी कार्यालयों में यह नीतियां धरी की धरी रह गई हैं। एक तरफ सोखता गड्ढा बनाने की बात, दूसरी तरफ सरकारी भवनों में हजारों लीटर पानी बह जाना, यह दोहरी नीति आम जनता की समझ से परे है।
