“बीईओ मैनपुर का तानाशाही फरमान – स्कूलों की हकीकत बताना अब जुर्म

बीईओ मैनपुर की मनमानी आदेश – स्कूलों पर पाबंदी, मीडिया को बाइट देना वर्जित!

थनेश्वर बंजारे/राजधानी से जनता तक 

गरियाबंद -:गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखण्ड में स्कूलों के लिए जारी हुए एक ताज़ा आदेश ने चर्चा का विषय बना दिया है। विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) मैनपुर द्वारा जारी आदेश पत्र में स्कूल संचालन, सफाई और सुरक्षा जैसे जरूरी बिंदुओं के साथ-साथ मीडिया को बाइट देने पर सख्त रोक लगाने का निर्देश दिया गया है।

बीईओ मैनपुर के इस आदेश के चौथे बिंदु में साफ लिखा गया है कि “मीडिया से किसी प्रकार का स्कूल के संबंध में बाइट या वर्जन देने से बचें।”

इस निर्देश को लेकर शिक्षक समुदाय और मीडियाकर्मियों में नाराजगी देखी जा रही है। सवाल यह उठ रहा है कि जब स्कूलों की वास्तविक स्थिति जैसे जर्जर भवन, शौचालय की दुर्दशा या मिड-डे मील की खामियां सामने आती हैं, तो मीडिया उसका माध्यम बनती है। लेकिन बीईओ का यह आदेश कहीं न कहीं “सच को छुपाने” जैसा प्रतीत होता है।

मीडिया को किसी भी सार्वजनिक संस्था से जुड़ी जानकारी लेने या सवाल पूछने का अधिकार है। वहीं शिक्षकों को भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त है। ऐसे में बीईओ का यह आदेश प्रेस की आज़ादी पर सीधा हस्तक्षेप माना जा रहा है।

प्रश्न यह भी उठ रहा है कि यदि कोई स्कूल में अनियमितता हो रही हो, तो क्या शिक्षक या प्रधानपाठक उसकी जानकारी बाहर नहीं दे सकते?

यदि मीडिया को बाइट देने से ही मनाही है, तो फिर जवाबदेही और पारदर्शिता कैसे सुनिश्चित की जाएगी?

बचत के तौर पर बाकी आदेश के प्रमुख बिंदु नीचे दिए गए हैं:

बीईओ मैनपुर के आदेश के अन्य निर्देश:

1. शासन के निर्देशानुसार विद्यालय का संचालन निर्धारित समय तक करें।

2. विद्यालय का रख-रखाव उचित रखें।

3. जर्जर शाला भवन में संचालन न करें।

4. मिडिया से किसी प्रकार का स्कूल के संबंध में बाईट या वर्जन देने से बचें।

5. रसोईया कक्ष एवं शौचालय को साफ-सुथरा रखें।

6. संकुल प्राचार्य/संकुल समन्वयक प्रतिदिन स्कूलों की मॉनिटरिंग करें।

7. आवश्यक दस्तावेज़/पंजी संधारित करें ताकि उच्चाधिकारियों को दिखाया जा सके।

बीईओ मैनपुर का यह आदेश सवालों के घेरे में है। स्कूलों की बेहतरी के लिए दिशा-निर्देश देना जरूरी है, लेकिन मीडिया से संवाद पर रोक क्या उचित है? क्या यह किसी बड़ी सच्चाई को छुपाने की कोशिश है?

अब देखना यह होगा कि उच्च प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाता है।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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