श्री जगन्नाथ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल राजिम (पथर्रा ) क़ा है. पूरा मामला

गरियाबंद /राजिम-:राजिम के वार्ड 14, पथर्रा में स्थित श्री जगन्नाथ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में ग्रामीण क्षेत्रों से इलाज करने पहुंचे भोले भाले ग्रामीणों को आयुष्मान कार्ड से इलाज का झांसा देकर मरीजों को पहले भर्ती कर उनका इलाज प्रारंभ कर दिया जाता है बाद में मरीजों को भरी भरकम बिल थमा नगदी पैसा जमा करने दबाव बनाया जाता है।
क्या है पूरा मामला
भिलाई (आरंग) निवासी बिरझा बाई नवरंगे (60) अपने रिश्तेदारों से मिलने तर्रा आई थीं। वापसी में चौबेबांधा के पास गाड़ी से गिर गई। इलाज करने राजिम के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे जहां डॉक्टरों ने सीटी स्कैन कराकर लाने कहा। परिजन सीटी स्कैन करने लाइफ केयर पहुंचे तो उपस्थित स्टाफ ने कहा यहां आयुष्मान कार्ड से इलाज हो जाएगा नगदी पैसे नहीं लगेगा। उन्होंने मरीज को भर्ती कर लिया फिर शनिवार को परिजनों से कहा मरीज की स्थिति ठीक नहीं है उसे दूसरी जगह ले जाओ। साथ ही उन्हें 25 हजार रुपए जमा करने अस्पताल प्रबंध दबाव बनाने लगा।
हॉस्पिटल को आयुष्मान कार्ड से इलाज की नहीं है मान्यता
जगन्नाथ हॉस्पिटल को आयुष्मान कार्ड से इलाज करने की मान्यता अभी तक नहीं मिली है परन्तु क्षेत्र की भोली भाली जनता को झांसा देकर उनका आर्थिक शोषण करने का अड्डा बना लिया गया है। साथ ही शासन की महत्वाकांक्षी योजना का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।
हॉस्पिटल की लापरवाही से मरीज की स्थिति नाजुक
परिजनों का आरोप है कि मरीज का बेड चेंज करते समय स्टाफ की लापरवाही से मरीज गिर गया था जिससे उसकी स्थिति और गंभीर हो गई। चेहरे में कुछ जगह चोट के निशान दिखने लगा और खून भी बह रहा था।
मरीज व डॉक्टरों के बयान भिन्न भिन्न
इस मामले की सूचना पाते ही जब मीडिया की टीम ने मौके पर पहुंचकर डॉक्टरों और मरीजों से बात की तो डॉक्टर आयुष शर्मा व डॉ. श्वेता पांडे ने साफ तौर पर कहा कि उनके अस्पताल में आयुष्मान योजना लागू ही नहीं है। इसके बावजूद वहां दर्जनों मरीज ऐसे मिले, जिन्हें योजना के नाम पर भर्ती किया गया था।
फर्जी रेफर सिस्टम या सुनियोजित लूट?
एक ही डॉक्टर दो अलग-अलग अस्पतालों में इलाज कर रहे हैं। एक अस्पताल से मरीज को रेफर कर दूसरे में भेजा जा रहा है, जहां योजनाओं की सुविधा बताकर भर्ती किया जाता है। लेकिन हकीकत में मरीज को मजबूर किया जाता है नकद भुगतान करने के लिए। यह पूरा मामला ‘रेफर माफिया’ और फर्जीवाड़े के संगठित नेटवर्क की ओर इशारा करता है। चूंकि जगन्नाथ हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं होता तो प्रबंधन मरीज को नवापारा स्थित संजीवनी हॉस्पिटल में भेजकर कार्ड से पैसा निकल लेते हैं।
क्या प्रशासन की आंखों में धूल झोंक रही हैं प्राइवेट हॉस्पिटल
अगर यह खेल एक मरीज के साथ हो रहा है, तो सवाल उठता है ऐसे कितने मरीज रोज़ इस जाल में फंस रहे हैं?
क्या आयुष्मान भारत योजना केवल कागजों में चल रही हैं?
क्या छत्तीसगढ़ में प्राइवेट अस्पताल अब सिर्फ मरीजों को लूटने का अड्डा बन चुके हैं? सरकारी तंत्र क्या इतनी निकम्मा हो चुका है कि ऐसे हॉस्पिटलों पर कोई लगाम नहीं लगा पा रहा है।
जांच नहीं तो आंदोलन
स्थानीय ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से तत्काल उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, तो जिला स्तरीय आंदोलन छेड़ा जाएगा। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, यह “जनता के जीवन के साथ धोखा” है। यह सवाल है – स्वास्थ्य व्यवस्था की विश्वसनीयता का।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में जिला चिकित्सा अधिकारी यू एस नवरत्न ने कहा श्री जगन्नाथ हॉस्पिटल को आयुष्मान कार्ड से इलाज करने की मान्यता नहीं है। शिकायत मिलने पर जांच किया जाएगा।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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