गरियाबंद (देवभोग) – लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर बनाई गई नहर परियोजना अब किसानों की परेशानी का सबब बन गई है। देवभोग विकासखंड के अमाड़ गांव में वर्ष 2018-19 में जल संसाधन विभाग द्वारा करीब 19.07 करोड़ रुपये खर्च कर नहर निर्माण कराया गया था, लेकिन पांच साल बीतने के बावजूद एक भी किसान के खेत तक पानी नहीं पहुंच पाया है। जानकारी के अनुसार, तेल नदी पर बनाए गए डायवर्सन प्रोजेक्ट में बिना समुचित गहराई मापे मात्र 10 फीट खुदाई की गई, जबकि जरूरत 20 फीट की थी। इससे नहर में जलप्रवाह ही नहीं हो सका। करीब 20 करोड़ रुपए की लागत से बना यह सिस्टम अब किसानों के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है। स्थानीय किसानों और सामाजिक कार्यकर्ता पूर्व जिला पंचायत सदस्य उर्मिला पात्र और भाजपा के वरिष्ठ नेता शोभा चंद पात्र ने इस योजना को भ्रष्टाचार का जीवंत उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि तेल नदी पार के 36 गांवों के किसानों को जलापूर्ति के लिए यह योजना बनी थी, लेकिन अब तक कोई लाभ नहीं मिल पाया। किसान अब तालाब, कुएं और बोरवेल के सहारे रोपाई-ब्यासी का कार्य कर रहे हैं। इस क्षेत्र में इस साल मौसम की अनियमितता ने भी हालात बिगाड़ दिए हैं। कहीं तेज गर्मी, कहीं अचानक बारिश से किसानों की परेशानी और बढ़ गई है। फसलों में दरारें, सुखती खेती, और अधूरी बुवाई जैसे संकट सिर पर मंडरा रहे हैं। वर्षों पहले की गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर कुछ किसानों को फसल बीमा मुआवजा तो मिला, लेकिन इस साल फिर वही स्थिति उत्पन्न हो रही है।

शोभा चंद पात्र ने चेताया कि यदि जल्द ही खेतों में पानी नहीं पहुंचा तो धान की फसलें इतनी बड़ी हो जाएंगी कि दुबारा रोपाई संभव नहीं होगी। इससे क्षेत्र में भारी कृषि नुकसान की आशंका है किसानों का कहना है कि सरकार तो योजनाएं बनाती है, बजट भी देती है, लेकिन जमीनी स्तर पर अधिकारियों, कर्मचारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से योजनाएं गुणवत्ताहीन तरीके से पूर्ण बताकर पैसे डकार लिए जाते हैं। “पानी नहीं तो अन्न नहीं”, किसानों का यही दर्द अब शासन-प्रशासन से जवाब मांग रहा है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाया गया, तो देवभोग क्षेत्र की खेती और किसानी दोनों सूखने की कगार पर पहुंच जाएंगी।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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