राजधानी से जनता कोरबा।एक समय था जब स्कूल जाने वाले बच्चे अपने हाथों में किताबें और कलमें लिए नज़र आते थे, लेकिन अब कोरबा जिले के कई इलाकों में, खासकर बालको नगर और आसपास के शहरी क्षेत्रों में स्कूली यूनिफॉर्म में ही छात्र सिगरेट के कश लेते और गुटखा चबाते नज़र आ रहे हैं। समाज के हर वर्ग में नशे की घातक पैठ बन चुकी है, और अब सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इसकी चपेट में तेजी से नाबालिग और युवा वर्ग भी आ रहे हैं।

आसानी से मिल रहे नशे के साधन
स्थानीय लोगों का कहना है कि दुकानों पर बिना रोक-टोक के सिगरेट, तंबाकू, गुटखा और यहां तक कि अन्य नशीले पदार्थ आसानी से नाबालिगों को बेचे जा रहे हैं। कई बार तो दुकानदार खुद स्कूल टाइम में बच्चों को सिगरेट और गुटखा बेचते दिखाई देते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि स्कूलों के आस-पास लगे प्रतिबंध के बावजूद नशे का सामान खुलेआम बिक रहा है।
सामाजिक अध्ययन यह संकेत दे चुके हैं कि हाल के वर्षों में कोरबा जिले में बढ़ते अपराधों के पीछे एक प्रमुख कारण नशे की लत रही है। छोटी चोरी से लेकर गंभीर अपराधों तक की घटनाओं में यह बात सामने आई है कि आरोपी नशे की हालत में या नशे के पैसों के लिए जुर्म की ओर बढ़े।
अभिभावकों की चिंता बढ़ती जा रही है। कुछ माता-पिता ने बताया कि बच्चों के व्यवहार में बदलाव, पढ़ाई में गिरावट और चिड़चिड़ापन नशे की ओर संकेत करता है। वहीं, सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि नशे पर रोकथाम के लिए केवल पुलिसिया कार्रवाई ही नहीं, बल्कि स्कूलों और समुदायों में जागरूकता अभियान भी ज़रूरी है।
प्रशासन और पुलिस द्वारा समय-समय पर कार्रवाई के दावे किए जाते हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है। कई वार्डों में स्थित पान दुकानें और अड्डे नाबालिगों के लिए नशे का अड्डा बन चुके हैं। फिर भी अब तक कोई स्थायी समाधान या कड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। कोटपा अधिनियम के तहत कार्रवाई मानो महज़ खानापूर्ति के रूप में की जाती है, चंद रुपए जुर्माने की करवाई से लोगों के हौसले भी बुलंद है।

Author: Sangam Dubey
छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय होता हुआ राजधानी से जनता तक दैनिक अखबार के साथ न्यूज पोर्टल, यूटयूब चैनल,जो दिन की छोटी बड़ी खबरों को जनमानस के बिच पहुंचाती है और सेवा के लिए तत्पर रहती है dainikrajdhanisejantatak@gmail.com