थनेश्वर बंजारे गरियाबंद

गरियाबंद-:गरियाबंद जिले में नर्सिंग होम एक्ट और स्वास्थ्य नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। जिले भर में ऐसे कई निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं जो न तो स्वास्थ्य मानकों पर खरे उतरते हैं और न ही कानूनी रूप से पूरे हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इनमें से अधिकांश अस्पतालों में RAM (Resident Assistant Medical Officer) की उपस्थिति तक सुनिश्चित नहीं है, जबकि यह नर्सिंग होम एक्ट के अंतर्गत अनिवार्य है।
RAM की गैरमौजूदगी: मरीजों की जान से सीधा खिलवाड़
नर्सिंग होम एक्ट के अनुसार, अस्पतालों में 24×7 उपलब्ध रहने वाले रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर यानी RAM की नियुक्ति अनिवार्य होती है। इसका उद्देश्य आपात स्थिति में तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सकीय मदद देना है। लेकिन जिले के दर्जनों अस्पतालों में RAM की तैनाती नदारद है। इससे स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर लापरवाही उजागर होती है।
नियमों को ताक पर, सुविधाएं सिर्फ नाम की
नर्सिंग होम एक्ट के नियमों के अनुसार अस्पताल में इमरजेंसी गेट, पर्यावरणीय अनुमति, अग्निशमन उपकरण, मरीजों की सुरक्षा, साफ-सफाई, और योग्य डॉक्टरों की उपलब्धता आवश्यक है। मगर जमीनी हकीकत ये है कि अस्पतालों में एमबीबीएस डॉक्टर की जगह “टाइम पास” करने वाले अपात्र चिकित्सक सेवा दे रहे हैं।
राइस मिल के सामने अस्पताल!
कुछ अस्पताल ऐसी जगह पर खुल गए हैं जहां पहले से राइस मिल जैसी प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयां हैं। ऐसे इलाकों में अस्पताल की मंजूरी देना पर्यावरणीय और मानवाधिकार नियमों का सीधा उल्लंघन है। फिर भी इन स्थानों को लाइसेंस कैसे मिला – यह बड़ा सवाल है।
बिना डायवर्शन, बंटा टुकड़ा भवनों में अस्पताल
कई अस्पताल ऐसे भवनों में चल रहे हैं जो न तो व्यावसायिक उपयोग के लिए डायवर्टेड हैं और न ही स्वास्थ्य संस्थान के संचालन के लिए अनुकूल हैं। कुछ संस्थान तो एक ही लाइसेंस पर कई स्थानों पर अवैध शाखाएं चला रहे हैं।
आयुष्मान भारत योजना के दायरे में भी गड़बड़ी
जिन अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना के तहत पात्र माना गया है, क्या वे सारे मानकों का पालन कर रहे हैं? क्या उनके पास RAM, इमरजेंसी सुविधा, और मान्यता प्राप्त भवन है? कुछ अस्पताल इस योजना के नाम पर लाभ तो ले रहे हैं लेकिन सुविधाएं नहीं दे रहे।
विभाग की चुप्पी, संदेह और गहराया
सवाल यह है कि जब ये खामियां इतनी स्पष्ट हैं, तो फिर स्वास्थ्य विभाग की भूमिका क्या है? क्या केवल लाइसेंस जारी करना ही विभाग की जिम्मेदारी है या निरीक्षण, निगरानी और कार्रवाई करना भी उसकी जिम्मेदारी में आता है?
खास बिंदु:
RAM की अनिवार्यता की खुली अनदेखी
बिना इमरजेंसी गेट और बिना डायवर्शन भवनों में संचालन
प्रदूषित क्षेत्र में अस्पताल, पर्यावरणीय स्वीकृति के बिना
आयुष्मान योजना के तहत अपात्र अस्पतालों को लाभ
स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर बड़ा सवाल
अब आवश्यकता है उच्चस्तरीय जांच और सख्त कार्रवाई की, ताकि स्वास्थ्य सेवाएं मरीजों के हक में सुरक्षित और न्यायोचित बनी रहें।
अगर विभाग इस मामले में कोई जांच नहीं करती तो इसकी शिकायत उच्च स्तरीय प्रदेश स्तर तक की जाएगी..

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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