राजधानी से जनता तक/ देवभोग

बोगस फर्मों को भुगतान फिर भी अधिकारी बने हैं मौनी साधु
गरियाबंद -शासन से गांव को मिलने वाली विकास मद 15 वें वित्त को कैसे डकारना है कोई ये जानना चाहे तो देवभोग के पंचायतों से पूछे जनपद पंचायत स्थानीय प्रशासन जानते हुये भी इस पर मौन क्यों है आज का सबसे बड़ा सवाल है?देवभोग ब्लाक में 53 ग्राम पंचायत है इसमें से शायद कोई पंचायत बचा होगा जो विकास मद को ना डकारा होगा।53 में 40 ऐसे ग्राम पंचायत है जो 15वें वित्त के विकास मद का बिना सफाई के 31 लाख आहरण कर डकार गये है। अधिकांश ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों के अनुसार ग्राम पंचायत क्षेत्रों में कभी सफाई होते नहीं देखा है वहीं ग्रामीणों का कहना है तीज त्यौहार या कोई पर्व आता है तो ग्राम पंचायतें विकास मद का आहरण कर कागजों में ही कार्य करा लेते हैं स्थानीय प्रशासन को ये भी पता होना चाहिये ग्राम पंचायत ऐसे मौके पर पंचायत प्रतिनिधियों को किस मद से मैनेज करते हैं।
कार्य योजना ठंडे बस्ते में ग्राम पंचायतों में ग्रामसभा का अस्तित्व लगभग खत्म
शासन के निर्देशानुसार ग्राम पंचायत को कोई भी कार्य योजना बनाने ग्रामसभा कराना होता है पर अब ग्राम पंचायतों में ऐसा नहीं होता,ग्राम पंचायतों में ग्रामसभा का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है ग्राम पंचायत क्षेत्र के बहार किसी पेड़ के निचे कार्य योजना बना जाता है प्रस्ताव भी हो जाता है और इस प्रकार बिना काम के आहरण का खेल हो जाता है।
बोगस फर्मों पर आखिर मेहरबान क्यों है पंचायत?
ग्राम पंचायतों में लगने वाले जीएसटी बील शासन के वाणिज्य कर विभाग से रजिस्ट्रेशन तो है अधिकांश फर्मों ने 2-3 वित्तीय वर्षों में विभाग से रिटर्न फाइल नहीं कराया है पुराने रजिस्ट्रेशन में काम चला रहे हैं पंचायत विभाग का स्थानीय प्रशासन भी इस पर कभी पड़ताल करने हिमाकत नहीं की है। क्षेत्र भर में सौ से भी अधिक ऐसे बोगस फर्म एक्टीवेट है और ग्राम पंचायत भी सामग्री कहीं से लेकर बील बोगस फर्म का लगाकर आहरण करा लेती है इससे पंचायत के जिम्मेदारों को धांधली करने में सोहलत होता है और अच्छा खासा मुनाफा भी हो जाता है।
पंचायत राज अधिनियम धारा 40 का ग्राम पंचायत कर रहे हैं उलंघन
पंचायतीराज के नियमानुसार ग्राम पंचायत को वित्तीय मामलों में कदाचार नहीं करना है अगर ऐसा करता है तो यह धारा 40 का उलंघन है।वगैर ग्राम सभा और कार्य योजना के बोगस फर्म के माध्यम से वित्तीय आहरण कर वित्तीय अनियमितता करना इसी श्रेणी के अंतर्गत आता है आखिर जनपद पंचायत स्थानीय प्रशासन इस पर इस चुप्पी क्यों साध लेता है इसकी पड़ताल क्यों नहीं करता है? आज का सबसे बड़ा सवाल है।
सफाई के नाम किस पंचायत ने कितनी राशि का आहरण किया ?
चालू वित्तीय वर्ष में विकास मद को जिन पंचायतों ने सफाई के नाम आहरण कर लिया उसमें कोसमकानी, कु.कला ,कु.खुर्द,लाटापारा, माडागांव,माहुलकोट,मुडागांव
मुंगझर,मुंडिया,निष्टीगुडा, फलसापारा,पुरनापानी, सुकलीभांठा (पु), सरगीगुडा,सेंदमुडा, सितलीजोर,सुपेबेडा, उसरीपानी,सुकलीभांठा (न),भतराबहली चिचिया, दहीगांव,दरलीपारा,डोहल, डुमरबहाल,डुमरपीटा, गाड़ाघाट,गंगराजपुर,गिरसूल
गोहेकेला,झाखरपारा, झिरीपानी,कदलीमुंडा, खोखसरा,खुटगांव सहित 40 पंचायतो ने 31लाख सफाई में खर्च कर दिये पर ना सफाई की गयी और ना ही स्वच्छ भारत मिशन पर अमल हो सका।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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