आखिर किसके दवाब में पुलिस नहीं करती कोयला चोरों पर कार्यवाही
रोजाना भटगांव बंद पड़ी कोयला खदानों के साथ साथ सीएचपी, वारफाल सहित रेलवे साइडिंग से की जाती है लाखों रुपए की चोरी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोयला चोरों द्वारा जिम्मेदारों तक पहुंचाई जा रही है काली कमाई का एक मजबूत हिस्सा
मोहन प्रताप सिंह
राजधानी से जनता तक. सुरजपुर/भटगांव:– एसईसीएल भटगांव क्षेत्र की भटगांव खदान, भटगांव बंद पड़ी खदान व सीएचपी, वारफाल सहित रेलवे साइडिंग में रोजाना भारी मात्रा में हो रही कोयला चोरी की घटनाओं पर लगाम नही लग रहा है। सत्ता परिवर्तन के बाद लोगों में उम्मीद जगी थी कि इस अवैध कारोबार पर रोक लगेगी लेकिन यह आज भी बदस्तूर जारी है। लोग अब कहने लगे है कि पहले कांग्रेस और अब भाजपा नेताओ का कोयला चोरों को संरक्षण मिल रहा है। एसईसीएल की लचर सुरक्षा तंत्र के साथ ही स्थानीय पुलिसिया साठगांठ से कोयला चोरी को अंजाम देकर खुलेआम कोयला तस्करी करते हुए कंपनी को लाखों रुपए की क्षति रोजाना पहुंचाया जा रहा कोयला तस्करों के इशारे पर रोजाना शाम ढलते ही कोयला चोर गिरोह के सदस्य कोयला स्टाक से बेख़ौफ़ कोयला चोरी को अंजाम दे रहे हैं।
बेरोकटोक जारी है रोजाना कोयला की चोरी
सेटिंग इतना जबरदस्त है की कोयला चोरों के हौसले बुलंद है और वे रोजाना उंक्त खदानों और संबंधित स्थानों से व्यापक पैमाने पर कोयला चोरी की वारदात को अंजाम दे रहे है। कोयला चोरी का काम बेरोकटोक उक्त खदानों के कोयला स्टाक, सीएचपी और वारफाल में रखे कोयला स्टॉक, रेलवे साइडिंग में रखा कोयला स्टॉक वही बंद पड़े कोयला खदानों में सुरंग बनाकर कोयला चोर अपनी जान जोखिम में डालकर कोयला चोरी कर तस्करी में लगे हुए है जबकि स्थानीय प्रशासन रात्रि गस्त के नाम पर सिर्फ पेट्रोलिंग करते हुए गाड़ी का हूटर बजाकर खाना पूर्ति करने में लगे रहती है।
एसईसीएल भटगांव के सुरक्षा जवानों की भूमिका भी संदिग्ध
कोयला खदानों से कोयला की चोरी रोकने के उद्देश्य से एसईसीएल महाप्रबंधक ने खुद के सुरक्षा बलों को तैनात करने के साथ साथ त्रिपुरा राइफल्स के जवानों को अनुबंधित किया है। उनकी खदानों में ड्यूटी भी लगाई जाती है। उसके बावजूद कोयला चोरी पर रोक नही लगने के कारण एसईसीएल के सुरक्षा कर्मियों समेत त्रिपुरा राइफल्स के जवानों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगना लाजिमी है।
ईंट भट्ठों में खपता है चोरी का कोयला
उंक्त खदानों के आसपास क्षेत्रो में अनेक वैध अवैध ईंट भट्टे संचालित है। कोयला चोरों द्वारा खदानों के आसपास व अगल बगल के गांवों में संचालित वैध और अवैध ईंट भट्ठों में बिना रोक टोक बाइक व साइकिलों से बोरियों में चोरी का कोयला ले जाकर खपाया जाता है। गांव के लोगों का कहना है कि क्षेत्र में अनेक अवैध ईंट भट्ठे है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र का पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है और खनिज महकमा मूकदर्शक बना बैठा है। इस आशय की शिकायत किए जाने के बावजूद खनिज अधिकारी द्वारा कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति किए जाने से खनिज विभाग की भूमिका पर सवालिया निशान लगना स्वाभाविक है क्योंकि संबंधित खदानों, स्थानों से रोजाना सैकड़ो की संख्या में साइकिल और मोटरसाइकिल से कोयला चोर कोयला चोरी कर तस्करी करने में लगे हुए हैं जबकि जिम्मेदारों को उसकी खबर तक नहीं या फिर खबर रखना ही नहीं चाहते क्योंकि आसपास के दर्जनों ग्राम पंचायतों में सैकड़ो की संख्या में अवैध रूप लाल ईट भट्ठा जला दिया गया वहीं कुछ जलने के कगार पर है इन सभी इन बातों में अवैध रूप से कोयला चोरी कर पहुंचाया गया और ईंट को जलाया गया लेकिन कार्यवाही एक पर भी नहीं जहां स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ खनिज विभाग और संबंधी कोयला खदान की सुरक्षा कर्मचारी हाथों में हाथ रखकर सिर्फ मूक दर्शक बने हुए है क्यों।
एसईसीएल भटगांव के विभिन्न स्थानों से हो रहा कोयला चोरी के संबंध में एसईसीएल सुरक्षा प्रभारी नागेंद्र सिंह को मोबाइल नंबर 9425279466 पर कई बार संपर्क करने का कोशिश किया गया लेकिन सुरक्षा प्रभारी के द्वारा फोन उठाना जरूरी नहीं समझा गया।
पुलिस की छवि हो रही धूमिल ?
कहीं ना कहीं एसईसीएल सुरक्षाकर्मियों की भी साठगांठ से कोयला तस्करों की तस्करी लगातार जारी है। कोयला खान क्षेत्रों के आसपास संचालित अवैध ईंट भट्ठों में चोरी का कोयला बेरोकटोक खपाया जा रहा है। कोयला तस्करों ने कोयला खान क्षेत्र में आतंक मचा रखा है। इस पर अंकुश नहीं लगने से पुलिस की छवि भी धूमिल हो रही है।
क्यों नहीं की जा रही है कार्यवाही ?
स्थानीय प्रशासन, सुरक्षाकर्मियों व त्रिपुरा राइफल्स के जवानों की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है क्योंकि पत्रकारों के द्वारा बार बार समाचारों के माध्यम से प्रशासन, सुरक्षा कर्मियों और एसईसीएल प्रबंधन को आईना दिखाने के बाद भी इनके द्वारा किसी प्रकार की कोई कार्यवाही न करना एक सवालिए निशान खड़ा करता है की इनकी ऐसे तस्करों के साथ साठ गांठ है तभी तो कोई कार्यवाही न कर इनकी संरक्षण करते हुए भारत सरकार को रोजाना लाखों रुपए का चूना लगाने में लगे हुए है।
Author: Mohan Pratap Shingh
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