श्रावण के तीसरे सोमवार को कनकेश्वर धाम में लाखों की संख्या में उमड़ेंगे श्रद्धालु: 5 अगस्त को जसगित का होगा आयोजन

राजधानी से जनता तक |कोरबा| छत्तीसगढ़ का बाबा धाम के नाम से विख्यात कोरबा जिले के करतला विकासखंड अंतर्गत कनकेश्वरधाम कनकी में श्रावण माह के तीसरे सोमवार यानी 05 अगस्त को अर्धरात्रि से ही भक्तों का रेला उमडे़गा। कावड़िया मां सर्वमङ्गला मन्दिर के पास हसदेव नदी से जल भर कर बोल बम के जयकारों के साथ पैदल चलकर कनकेश्वर धाम पहुचेंगे । बड़ी संख्या में पहुंचने वाले शिवभक्तों एवं कांवड़ियों के द्वारा शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाएगा। शिव भक्तों की भीड़ को देखते हुए युवा संगठन कनकेश्वर सेवा समिति एवम पुलिस प्रसाशन द्वारा पुख्ता इंतजाम किया गया है

ग्राम कनकी जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ग्राम कनकी छत्तीसगढ़ में कनकेश्वरधाम के नाम से प्रसिद्ध है। यहां स्वंयभू कनकेश्वर महादेव विराजमान है जिसे स्थानीय लोग भुई फोड़ महादेव बोलते हैं जहां सावन में हजारों श्रद्धालु कनकेश्वर महादेव के दर्शन पूजन के लिए आते हैं।

यह ग्राम शिव मंदिर के अलावा प्रवासी पक्षियों के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। वैसे तो इस मंदिर को 13वीं शताब्दी का कहा जाता है, लेकिन पुरातात्विक विभाग ने इसकी पुष्टि नही की है। फिर भी मंदिर की दीवारों और चौखटों पर पुरातात्विक मंदिरों तुमान, पाली जैसे सुंदर उत्कीर्णन और आकृति देखने को मिलती है। मंदिर को छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग द्वारा एक संरक्षित मंदिर का दर्जा प्राप्त है। मंदिर का उत्पत्ति का अलग-अलग इतिहास है।

 5 अगस्त को जसगीत का होगा अयोजन

इस बार सावन के तीसरे सोमवार को ग्राम कनकेश्वर में जस गीत कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। मंदिर समिति द्वारा छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध जस गीत गायक मनीष मनचला का जस गीत कार्यक्रम सोमवार को सुबह 8:00 बजे से शुरू होगा । गायक मनीष मनचला अपनी विशिष्ट गायन शैली से प्रदेश में जस गीत गायको में विशेष स्थान रखते हैं।

 क्या है कनकेश्वर धाम की पीछे की मान्यता .?

बताया जाता है कि एक काली गाय उफनती नदी को पार कर घने वन के बीच एक स्थान पर स्थित टीला पर प्रतिदिन दूध गिराने जाती थी। एक दिन ग्वाला उस गाय का पीछा करते हुए उस स्थान पर पहुंच गया जहां गाय रोज दूध गिराती थी। उसने देखा कि गाय यहां टीला पर दूध गिरा रही है। वह गुस्से से गाय को डंडे से पीटने लगा कि ये यहां रोज आकर सारा दूध गिरा देती है और बछड़ा दिनों-दिन सूखता जा रहा है। उस ग्वाले ने जिस जगह गाय दूध गिराती वहां भी डंडे से प्रहार किया और वहां से कुछ टूटने की आवाज आई। उस जगह चांवल का टुकड़ा (कनकी) का दाना पड़ा हुआ था। वहां से आने के बाद रात को भगवान शिव ग्वाले के स्वप्न में आये और बोले कि जिस जगह गाय रोज दूध गिराती थी उस जगह पर मैं था। तुम उस जगह जाओ और मेरी पूजा-अर्चना करो। जब उस जगह की साफ-सफाई कराई गई तो वहां एक शिवलिंग मिला। जिसके कारण यहां एक मंदिर बनवाया गया और कनकी या चांवल के दाने के आसपास होने के कारण इसे कनकेश्वर महादेव मंदिर कहा गया। तब से यहां श्रावण मास एवं महाशिवरात्रि में भव्य मेला लगता है। जहां कोरबा जिले सहित आसपास क्षेत्र एवं दूसरे राज्यों से लोग हजारों की संख्या में स्वयंभू महादेव का दर्शन करने आते हैं। लोगों की सुरक्षा एवं देखभाल के लिए युवा संगठन कनकेश्वर सेवा समिति की अहम भूमिका होती है ।

Sangam Dubey
Author: Sangam Dubey

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