गरियाबंद – केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा गांवों-गांवों में बनाई गई है सार्वजनिक शौचालय , सरकारों की मंशा यह है, कि ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच मुक्त बनाने की परिकल्पना से पानी की तरह पैसा बहा रही है। किंतु जमीनी स्तरीय अधिकारी व जनप्रतिनिधियों ने सरकार कि यह महत्वाकांक्षी योजना को मिट्टी फ्लीत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ज्ञातव्य हो कि देवभोग विकास खण्ड में सार्वजनिक शौचालय में उपयोग करने से पहले ही खंडहर बन गया है।लेकिन विकास खण्ड जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि मूकदर्शक बने हुए खामोखा देख रहे हैं। दरअसल बात यह है कि सरकार ने खुलें में शौच को रोकने हर गांवों में 3.50 लाख रुपए की लागत से सार्वजनिक शौचालय निर्माण की स्वीकृति दी गई है। स्वच्छ भारत मिशन योजनांतर्गत देवभोग विकास खण्ड के 54 ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक शौचालय की स्वीकृति दी गई थी। लेकिन स्वीकृत किए गए उपरांत भी करीबन 3-4 साल हो चुके हैं इसके बावजूद भी जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी सार्वजनिक शौचालय निर्माण कार्य को अपूर्ण कर छोड़ दिया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत सचिव द्वारा इन शौचालय को पूर्ण बता कर शौचालय निर्माण की पूरी राशि को आहरण कर बंदरबाट किया गया है। कुछ गांवों के सार्वजनिक शौचालय पूर्ण हो चुकी है किंतु उन शौचालय में चौबीस घण्टे ताला लगा हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक शौचालय में हमेशा ताला लटकें रहने के कारण ग्रामीण जनता सार्वजनिक शौचालय में उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।देवभोग विकास खण्ड के ग्राम पंचायतों के अधिकतर सार्वजनिक शौचालय अधूरे पड़े हैं। किसी शौचालय में टाइल्स का काम, रंगरोगन,व पानी का व्यवस्था नहीं किया गया है।
ग्रामीणों द्वारा बताई गई जानकारी के मुताबिक सरपंच, सचिव , तकनीकी सहायक व संबंधित विभाग के अधिकारी व कर्मचारीयों द्वारा मिलीभगत कर अपूर्ण शौचालय को पूर्ण बताकर राशि आहरण कर बंटवारा किया गया है। जिसको लेकर सभी ग्रामीण जनों में भारी आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने यह भी बताया कि अभी कुछ ही दिनों बाद ग्राम पंचायत चुनाव होने वाली है। कुछ ही माह और ही बची हुई है। क्या इस दौरान शौचालय निर्माण कार्य पूर्ण हो सकती है, किया ऐसा विश्वास है, तो इस तरह के सवाल जवाब हो रहे हैं। इस संबध में जानकारी जुटाने जब राजधानी से जनता तक न्यूज रिपोर्टर ने जमीनी स्तर पर पहुंच कर ग्रामीण जनताओं से इनकी पूरी वृतांत पूछी गई तो शौचालय की व्यवस्था की एक एक गतिविधियों को बताया,उसी दरम्यान ग्रामीणों की समस्यायों को लेकर अखबारों में प्रकाशित किया गया है। चूंकि केंद्र व प्रदेश सरकार कि हर योजना का लाभ ग्रामीण जनताओं को मिल सके। सरकार ग्रामीण जनताएं लाभान्वित होने अनेकानेक योजना लागू कर रही है। इसी अनुरूप सरकार ग्रामीण विकास कार्य के लिए लाखों करोड़ों रुपए स्वीकृत की है। किंतु जमीनी स्तरीय जिम्मेदारों ने रोकड़ा को सुनी पे सुहागा बना कर साकार को आकार बना दिए हैं।

Author: Prakash Jaiswal



