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संत गुरु घांसी दास जयंती के अवसर पर आलेख प्रकाशन हेतु

सतनाम पंथ के प्रवर्तक संत गुरु “”””””””घांसी दास “””””

टोपू चंद गोयल

जीवन परिचय —–: छत्तीसगढ़ अंचल की पावन भूमि महान संतों, साधुओं की जन्मस्थली व कर्मभूमि रही है यहां अनेक महापुरुषों ने जन्म ले कर भूमि को कृतार्थ किये हैं, जिसमें से एक संत गुरु घांसी दास जी हुए
छत्तीसगढ़ महतारी के इस पावन धरती पर लगभग 270 वर्ष पूर्व गुरु घांसी दास का अवतरण अविभाजित मध्यप्रदेश के रायपुर जिला अंतर्गत ग्राम गिरौदपुरी में माता अमरौतिन व पिता मंहगूदास के गोदी में 18 दिसम्बर सन् 1756 सोमवार के दिन अवतरण होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ,हम सब छत्तीसगढ़ वासियों के लिए सौभाग्य की बात है,उस जमाने काफी कुरीतियां व्याप्त थी, समाज में काफी असमानता थीं, उस समय गुरु घांसी दास जी का अवतरण हुआ,वे कुशाग्र बुद्धि के थे और यह ही बालक आगे चलकर गुरु के रूप में प्रतिस्थापित हुए, गुरु घांसी दास मनखे मनखे एक समान के भाव से सर्व समाज के कल्याण के लिए उपदेश दिया , एकता और भाईचारे का पाठ पढ़ाया,सत्य के पुजारी व महान संत थे, उन्होंने घोर तपस्या कर सत्य की खोज की ।आज हम सब उनके बताए मार्गों पर चल कर अपने जीवन को धन्य कर सकते हैं, संत महान पुरुष किसी जाति धर्म से बंधे नहीं होते वह तो मानव समाज के कल्याण के लिए होते हैं।

गुरु पर्व एक उत्सव ——-:

सत्य और अहिंसा के प्रणेता परम पिता संत गुरु घांसी दास बाबा की जयंती को लेकर हमारे सतनाम पंथ के अनुयायियों में भारी उत्साह रहता है जयंती पर्व मनाने के लिए जगह -जगह तैयारियां की जाती है, इसके अंतर्गत गांवों शहरों नगरों के गुरुद्वारों और जैतखामों की साफ-सफाई और रंग-रोगन का कार्य किया जाता है , जयंती मनाने के लिए गांवों से बड़े-बड़े शहरों में कमाने खाने चले जाने वाले लोग वापस अपने गांव घर आ जाते हैं, यहां तक कि अपने परिवार के रिश्ते दारों बेटी दामादों, ईष्ट मित्रों,व चहेतों को भी कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाता है, जयंती मनाने वे गुरु पर्व माह दिसम्बर का बेसब्री से इंतजार करते रहते हैं, एक दिसम्बर आते ही लोग एक-दूसरे को गुरु पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाईयां देना आरंभ कर देते हैं ।
निर्धारित जयंती दिवस पूर्व कार्यक्रम स्थल को साफ-सफाई कर तोरन पताके बैनर पोस्टर आदि से सुशोभित किया जाता है, समाज द्वारा हर्षोल्लास से शोभायात्रा निकाली जाती है,18 दिसम्बर से लेकर 31 दिसंबर तक आयोजित होने वाले इस पर्व में चौका आरती, पंथी नृत्य और विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, और सत्य अहिंसा के प्रतीक जैतखाम पर श्वेत रंग का पालो चढ़ाया जाता है,पालो चढ़ाने के लिए समाज प्रमुख भंडारी छड़ीदार के घर नव निर्मित पालो (झंडा) को सभी ग्रामवासी व पंथी पार्टियों, दलों द्वारा शंख मृदंग मांदर झांझ मंजीरा आदि वाद्यों के थाप पर नाचते गाते हर्षोल्लास पूर्वक सतनाम बाबा जी के जय जय कार लगाते हुए पालो (ध्वज)को परघाकर कार्यक्रम स्थल पर लाया जाता है,इसे पालो परघौनी कहते हैं, पवित्र जैतखाम पर पालो चढ़ाने पूजा पाठ करने हेतु प्रत्येक घरों से प्रसाद के रूप में मेंवा मिष्ठान खीर पुड़ी हलवा पपची मालपूआ अनेकों प्रकार से स्वादिष्ट व्यंजन तैयार कर ,पीतल आदि के बर्तनों थालियों में आरती सजाकर सात दिपक जलाकर जोंड़ा नारियल अगरबत्ती लौंग इलायची बंगला पान कपूर फूल मालाएं सहित लेकर,नये नये वस्त्र धारण कर सभी श्रद्धालु गण बाबाजी के प्रतीक पवित्र जैतखाम की पूजा अर्चना की जाती है व आशीर्वाद प्राप्त कर मन की मनौती मनाती हैं। इस अवसर पर परंपरानुसार सामुहिक मुख्य आरती की जाती है व सभी मिलकर भक्त जन श्रद्धालु गण पारंपरिक आरती गीत मंगल गायी जाती है
एक बानगी देखिए —–
पहिली आरती जगमग ज्योति
हीरा पदारथ बारे ल मोती हो
आरती होथे सतनाम साहेब के
दूजे आरती दुनों अंग सोहे
सतनाम ल हिरदे म मोंहे हो
आरती होथे सतनाम साहेब के
तीजे आरती त्रिभुवन मोंहे
रतन सिंहासन गुरुजी ल सोहे हो
आरती होथे सतनाम साहेब के
चौथे आरती चारो जुग पूजा
सतनाम छोंड़ पूजन नहीं दुजा हो
आरती होथे सतनाम साहेब के
पांचे आरती पद निरबाना
कहे घासीदास हंसा लोक सिधाना हो आरती होथे सतनाम साहेब के
छये आरती दरशन पावे
लाख चौरासी जीव के बंधन छुड़ाए हो आरती होथे सतनाम साहेब के
सात आरती सतनामी घर आये
चढ़ के विमान हंसा अमर लोक सिधाये हो आरती होथे सतनाम साहेब के ———–
पवित्र आरती पश्चात आराधना कर सम्मानित पालो ध्वज ग्राम भंडारी व प्रमुख व्यक्ति के करकमलों पवित्र जैतखाम पर चढ़ाया जाता है
परम पूज्य शिरोमणि गुरु घांसी दास बाबा जी की जय जय कार की जाती है। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर आमंत्रित पंथी पार्टियों द्वारा क्रमश: गौरव गान, नृत्य व झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं।

लोक कला के रूप में पंथी —–:

बाबा जी के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का श्रेष्ठ माध्यम है”” पंथी नृत्य “” मानवीय एकता व भाईचारे का पाठ बाबा घासीदास जी ने हमें पढ़ाया है, बाबा एक जाति या समाज के नहीं अपितु संपूर्ण मानव समाज के गुरु हैं, जिन्होंने सर्व कल्याण का मार्ग बताया ,जिसे पंथी गीतों के माध्यम से पिरो कर जन जन तक पहुंचाया जा सकता है , इस के मंगल भजनों गीतों को निर्गुण भजन कहा जाता है, इसी पंथी नृत्य गायन विधा में स्वर्गीय देवदास बंजारे जी का नाम सर्वोपरि रहा है जो कि उन्होंने बाबा जी के संदेश को देश विदेशों में प्रसारित किया है देव दास बंजारे जी प्रायः अपने पंथी नृत्य व गीतों में गाया करते थे कि
ये माटी के काया ये माटी के चोला
कय दिन रहिबे बतादे मोला ——–
नित अंधियरिया हे माता के गरभ म
नैइये वहां दिया ग नैइये वहां बाती ग
ये माटी के काया ये माटी के चोला
कय दिन रहिबे बतादे मोला ———
इसी कड़ी में आसु कवि गायक हेमदास कुर्रे बुड़गहन बलौदा बाजार ने कहा
सतनाम सतनाम बोल ये संगी
ये तन ल जान कांचा मांटी के सांचा
बनैया बनाये सुग्घर खोल ———
सतनाम सतनाम बोल ये संगी —
उड़त देरी हे मैना पिंजरा भितर ल
बरसत पानी म निकाल देहीं घर ल
गुनैया का गुनही तोर रोना कोन सुनही,परे रहिबे लकड़ी कस खोल सतनाम सतनाम बोल ये संगी ——
इसी तरह पद्मश्री डॉ राधेश्याम बारले जी चरौदा भिलाई लोक कलाकार ने कहा——-
उड़ि जाहि हंसा ह चिटिक रोही नारी
लेगौ लेगौ कहिके करहि तैयारी —–
सतनाम भजन लोक प्रिय गायिका पद्मश्री उषा बारले जी भिलाई नगर ने कहा कि
सत के धाम बनगे गुरु मोर
तोर गिरौदपुरी सत के धाम बनगे बाबा मोर तोर गिरौदपुरी सत के धाम
देश परदेश के संतो सब आवथे
चरन कुंड में जुर मिल नहावथे
सब महान बनगे बाबा मोर तोर गिरौदपुरी सत के धाम बनगे ——-
रेडियो सिंगर कलाकार श्रीमती जुगा बाई टंडन ने कहा
कहना ल मानौ मोर बचना ल मानौ मोर,धन तकदीर मोर डोंगरी जाहूं घनघोर।।
इसी तरह सतनामी समाज लोक प्रिय रेडियो सिंगर दूरदर्शन कलाकार श्रीमती शांति बाई चेलक पिरदा भिंभौरी जिला बेमेतरा ने कहा कि
चलव चलव नगर के सब लोग
बाबा ल लेवा के लाबो हो—–
स्वामी ल लेवा के लाबो हो—–
चलव चलव नगर के सब लोग
गुरु ल लेवा के लाबो हो—–

गुरु घासीदास सम्मान से सम्मानित लोक प्रिय रेडियो सिंगर व दूरदर्शन कलाकार श्रीमती समे शास्त्री देवी जोगीपुर व भिलाई वाले ने कहा है कि
गिरौदपुरी के धरती तोला बंदौ
मोर गुरु घांसी दास जनम लिहे ओ
सबो ल तारे बबा महूं ल तार लेबे,
भटकत हंसा साहेब संत ल उबार लेबे,———-गिरौदपुरी
छत्तीसगढ़ पंथी नृत्य में नाम दर्ज कराने वाले लोकप्रिय गायक पंडित रामप्रसाद मिरचे जी चारभांठा बेमेतरा ने बखान किया कि
सतज्ञान के देवैया,परथौ तोर पैंया,
भुली गयेंव रद्दा बता देना ग
सत मारग म चले ल सीखा देना ग
सतज्ञान के देवैया परथौ तोर पैंया —
चारभांठा बेमेतरा से ही बहुत ही पुराने नामी-गिरामी कलाकार रतन चंद बंधे जी ने कहा कि
चमकय हो मोर नैनों में घासीदास
झलकय हो मोर नैनों में घासीदास

राजनांदगांव बठेना निवासी लोकप्रिय पंथी गायक रेडियो सिंगर कलाकार राधेश्याम कोशरिया ने अपने गीत में गुणगान किया कि
पानी गिरय हो रमाझम डोंगरी के तीर, सतनाम जपत बाबा बैइठे मन धीर ——पानी गिरय हो रमाझम डो

बिरमपुर चंदनू ,बेमेतरा जिला निवासी लोकप्रिय पंथी गायक पंडित अयोध्या प्रसाद बंजारे ने कहा कि
सतनाम सतनाम सतनाम सार
गुरु महिमा अपार, अमृत धारा बहाई दे,होई जाहि बेंड़ा पार, सतगुरु ज्ञान लखाइदे ——–
इस तरह गुरु घांसी दास बाबा जी के संदेश जिसमें सत्य को जानो छानो तब मानो, अर्थात वास्तविकता पर आधारित बात को मानना चाहिए, ऐसा बाबाजी ने संदेश दिया है, समाज में अंधविश्वास व रुढ़िवाद के लिए कोई स्थान नहीं है, प्रेम, दया, करुणा, क्षमा, विनय, और शील सभी मानवीय गुण है इसीलिए बाबा घासीदास जी ने एक शब्द में कह दिया है कि
“”” मनखे – मनखे एक बरोबर “”

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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