देवभोग के ग्रामीणांचलों में कृषि पद्धति से लाख (राल) की उत्पादन आय सृजन में इजाफा

जिला संवाददाता-चरण सिंह क्षेत्रपाल राजधानी से जनता तक

गरियाबंद – देवभोग क्षेत्र में लाख राल का उत्पादन कुछ ऐसे ही ग्राम पंचायतों में शुरूआत की गई है, जहां कृषि विभाग के मार्गदर्शन से लाख राल की उत्पादन किया जा रहा है।लाख उत्पादन एक मूल्यवान कृषि आधारित उद्योग है, जिसमें लाख कीटों की और कटाई भी शामिल हैं। ताकि लाख राल प्राप्त की जा सके,
लाख राल की उत्पादन कर रहे किसानों ने कहा कि लाख राल ये कीट मेजबान पेड़ों के रस पर भोजन करते हैं, जैसे बेर, अंजीर या बबूल की कुछ प्रजातियां लाख राल का उपयोग विभिन्न औद्योगिक, अनुप्रयोगों में किया जाता है।लाख के कीड़े छोटे, मुलायम शरीर वाले और मेजबान पेड़ों की शाखाओं के चारों ओर एक राल युक्त पदार्थ स्त्रावित करते हैं।

लाख कीटों का पालन
उत्पादन प्रक्रिया लाख कीटों के पालन से शुरू होती है, कीटों को मेजबान पेड़ों पर मुख्य रूप से अंजीर या पीपल का पेड़ पर पाला जाता है। किसान एक छड़ी लेकर जिसमें अंडे होते हैं, और उसे मेजबान पौधे की एक शाखा से बांध दिया जाता है। मादा लाख कीट मेजबान पेड़ों की शाखाओं में चिपक जाती है। और अंडे देना शुरू कर देती हैं।

लाख राल उत्पादन में लाभ
लाख राल ये मधुमक्खियों जैसे कुछ लाभकारी कीट मेजबान पेड़ों के परायण में भूमिका निभा सकते हैं,जो इन पेड़ों के स्वास्थ्य और विकास का समर्थन करता है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से लाख उत्पादन को लाभ होता है।

राल युक्त पदार्थ का निर्माण
राल युक्त पर का निर्माण जैसे -जैसे रेंगने वाले पेड़ रस पर भोजन करते हैं,वे एक राल युक्त पदार्थ स्त्रावित करते हैं।यह राल धीरे-धीरे उनके शरीर को ढंक लेती है, जिससे एक सुरक्षात्मक परत बन जाती है।

बीज लाख का महत्व

बीज लाख के उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण कच्चा माल है, जिसका व्यापक रूप से खाद्य फार्मास्युटिकल, सौन्दर्य प्रसाधन व विभिन्न उद्योगों में प्राकृतिक राल के रूप में उपयोग किया जाता है।

सामाजिक -आर्थिक महत्व

लाख राल उत्पादन ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब लोगों को आय सृजन में महत्वपूर्ण योगदान मिल रहा है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां लाख की खेती की जा रही है।यह ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करता है,जो लाख की खेती कटाई और प्रसंस्करण के विभिन्न पहलुओं में शामिल होते हैं। उक्त किसानों ने और भी यह बताये कि, ग्रामीण अंचलों में जहां वन परिक्षेत्र से लगाव होने वाले गांवों को प्राकृतिक वनस्पति द्वारा अनेकानेक माध्यमों से आय सृजन किया जाता है। जैसे कि हर वृक्ष में रंगीन लाख की खेती सालभर में कमा रहे हैं, 70-80 करीबन पलाश के पेड़ पर लाख उत्पादन से ग्रामीण जनता हर साल 5,6 हजार रुपए की प्राप्ति होती है। यही नहीं पलाश की खेती में बाड़ी का भी विकास किया जा सकता है। लाख राल उत्पादन एक बहुउपयोगी है,जो एक सूक्ष्म कीट का दैहिक स्त्राव है,लाख के उत्पादन करने के लिए पोषक वृक्षों जैसे कुसुम,पलाश व बेर अथवा झाड़ीदार पौधौं जैसे भालिया की आवश्यकता पड़ती है। किसानों ने बताया कि देवभोग क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत उसरीपानी , पुराना पानी तथा लाख उत्पादन में सरल साधनों में उपयुक्त गांव में लाख राल का उत्पादन किया जा रहा है। लाख राल का उत्पादन की कीमती( भाव) एक किलो प्रति दर से 800/ रूपए में बेचीं जाती हैं,जब से लाख राल उत्पादन करना हमने सीखा है,आय की आमदनी में इजाफा हो रहा है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में सभी किसानों को लाख राल उत्पादन करना चाहिए। ताकि आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में इन पद्धति से कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया जाए।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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