रेत चोरों की बल्ले-बल्ले! कार्रवाई के कुछ ही दिनों बाद फिर दो जगहों पर अवैध रेत उत्खनन जोरों पर

प्रशासन के नाक के नीचे खुलेआम चल रहा रेत का काला कारोबार – आखिर किसकी मिलीभगत से फल-फूल रहा है अवैध खनन?

 

राजिम (गरियाबंद) l गरियाबंद जिले के राजिम विधानसभा क्षेत्र में रेत माफियाओं के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि कुछ ही दिनों पहले हुई प्रशासनिक कार्रवाई के बावजूद अब फिर दो अलग-अलग स्थानों पर अवैध रेत उत्खनन बड़े पैमाने पर जारी है। मामला राजिम नगर से सटे पितईबंद क्षेत्र का है, जहां खुलेआम रेत का खनन हो रहा है।

 

हैरानी की बात यह है कि इसी क्षेत्र में कुछ दिन पूर्व रायपुर और गरियाबंद की संयुक्त टीम ने छापा मारकर अवैध रूप से खनन कर रही मशीनी वाहनों को जब्त किया था। माउंटेन और हाइवा जैसे भारी वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी, जिससे ऐसा लगा कि प्रशासन ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। लेकिन अब फिर वही खेल शुरू हो चुका है – और इस बार और ज्यादा बेखौफ तरीके से।

प्रशासन मौन – कौन दे रहा संरक्षण?

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक और हाइवा वाहन राजिम क्षेत्र से होकर अवैध रेत लेकर गुजर रहे हैं। इन वाहनों की आवाजाही ना तो छुपी हुई है, ना ही किसी से अनजान। फिर भी न तो परिवहन विभाग हरकत में आ रहा है, न ही पुलिस प्रशासन और न ही खनिज विभाग।

 

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब गरियाबंद जिले में कोई वैध रेत खदान स्वीकृत नहीं है, तो फिर इतनी बड़ी मात्रा में रेत आखिर कहां से और कैसे निकाली जा रही है? और यह कारोबार किसके संरक्षण में फल-फूल रहा है?

 

क्या जनप्रतिनिधियों की संलिप्तता?

 

स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस अवैध कारोबार में कुछ प्रभावशाली जनप्रतिनिधियों और स्थानीय नेताओं की भूमिका संदिग्ध है। बिना राजनीतिक संरक्षण के इतना बड़ा और निरंतर चलने वाला रेत कारोबार संभव नहीं है।

 

पूर्व की कार्रवाई को सिर्फ दिखावटी कदम माना जा रहा है, क्योंकि यदि कार्रवाई ईमानदारी से हुई होती, तो आज फिर वही रेत माफिया उसी जगह पर सक्रिय नहीं होते।

 

जिला प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल

 

एक तरफ सरकार पर्यावरण संरक्षण और खनिज संपदा के संतुलन की बात करती है, तो दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत यह है कि जिला प्रशासन की नाक के नीचे अवैध उत्खनन बेरोकटोक जारी है। अगर अब भी इस पर ठोस और निरंतर कार्रवाई नहीं होती, तो यह स्पष्ट संकेत होगा कि पूरी व्यवस्था कहीं न कहीं इस अवैध खेल में सहभागी है।

 

स्थानीय जनता में आक्रोश

 

क्षेत्रीय ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों में इस पूरे मामले को लेकर भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि अवैध रेत खनन से न सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान हो रहा है, बल्कि गांव की सड़कों, पुल-पुलियों और पर्यावरण पर भी इसका गंभीर असर पड़ रहा है।

 

मांग – हो उच्च स्तरीय जांच और स्थायी बंदोबस्त

 

ग्रामीणों ने शासन से मांग की है कि इस अवैध रेत खनन पर लगाम लगाने के लिए उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाई जाए और दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई हो। साथ ही ऐसी स्थायी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे भविष्य में इस तरह का दोहराव ना हो।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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