थनेश्वर बंजारे राजधानी से जनता तक
गरियाबंद। सुशासन की बात करने वाली सरकार की शिक्षा व्यवस्था की हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। जिला मुख्यालय से लेकर ब्लॉकों तक स्कूलों को भगवान भरोसे छोड़ शिक्षकों को कलेक्ट्रेट और अन्य कार्यालयों में अटैचमेंट, प्रतिनियुक्ति और नियमविरुद्ध प्रभार देकर बाबूगिरी कराई जा रही है। इस व्यवस्था ने न सिर्फ माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की खुलेआम अवहेलना की है, बल्कि आदिवासी अंचलों के मासूम बच्चों से उनका शिक्षा का अधिकार भी छीना जा रहा है।
शिक्षकों का प्रशासनिक अड्डों पर जमावड़ा:
गरियाबंद वनांचल के स्कूलों में जहां योग्य शिक्षकों की जरूरत है, वहीं दर्जनों शिक्षक जिला कलेक्ट्रेट व अन्य कार्यालयों में पदस्थ हैं। कुछ पर पहले से गंभीर आरोप हैं, निलंबन के बाद बहाली हुई और फिर बिना योग्यता प्रतिनियुक्ति थमा दी गई।
WPS 8244/2022 की खुली अवहेलना:
माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा रमाकांत देवांगन बनाम शासन प्रकरण में स्पष्ट आदेश के बावजूद व्याख्याता महेश राम पटेल को मैनपुर ब्लॉक का प्रभारी बीईओ नियुक्त कर दिया गया, जो न केवल न्यायालय की अवमानना है, बल्कि शासनादेश दिनांक 14/03/2024 का भी उल्लंघन है, जिसमें व्याख्याताओं को बीईओ प्रभार से स्पष्टतः वंचित करने का निर्देश दिया गया है।
शिक्षा नहीं, बाबूगिरी कर रहे ये शिक्षक:
खेल सिंह नायक: जुलाई 2025 में रिटायर होने वाले व्याख्याता, पर वित्तीय प्रभार जारी।श्याम चंद्राकर: भ्रष्टाचार में दोष सिद्ध, फिर भी सांख्यिकी अधिकारी के पद पर प्रतिनियुक्त।बुद्धविलास सिंह: फर्जी दस्तावेज मामले में आरोपी, सहायक परियोजना अधिकारी बने बैठे।महेश राम पटेल: बीईओ प्रभार के अयोग्य, फिर भी अधिकारों का उपभोग कर रहे।मनोज केला, भूपेंद्र सोनी, विल्सन थामसन: प्रधान पाठक व शिक्षक, पर वर्षों से स्कूल से दूर, समग्र शिक्षा में APC पद पर।
स्कूलों में बच्चों का भविष्य अंधकारमय:
जिन शिक्षकों का कर्तव्य है बच्चों को शिक्षित कर समाज की नींव मजबूत करना, वे अफसरों के कदमों की परिक्रमा कर रहे हैं। ये शिक्षक किसी भी अतिशेष की श्रेणी में नहीं आते, बावजूद इसके इनका शिक्षकीय दायित्व से विमुख होना, न सिर्फ बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है, बल्कि शिक्षा विभाग की मंशा पर भी सवाल खड़े करता है।
जनता की मांग, स्कूल वापसी हो:
लोगों ने गरियाबंद कलेक्टर श्री भगवान सिंह से इस गंभीर मामले में त्वरित संज्ञान लेने, सभी अटैच, प्रतिनियुक्त और प्रभार में चल रहे शिक्षकों को तत्काल हटाकर मूल शालाओं में वापसी की मांग की है ताकि “मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता वर्ष” का सपना हकीकत बन सके।
न्यायालय और शासनादेश के खुले उल्लंघन पर जिम्मेदार कब लेंगे जवाबदेही?
गरियाबंद के लोगों की उम्मीद अब प्रशासन से है—कि बाबूगिरी कर रहे शिक्षकों की स्कूल में वापसी हो, और बच्चों को मिल सके एक बेहतर शैक्षणिक वातावरण।
अब मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री को भेजी जाएगी शिकायत, न्यायालय की अवमानना को लेकर पुनः याचिका की तैयारी
इस खबर और मुद्दे को लेकर अब स्थानीय नागरिक, शिक्षक संगठन एवं शिक्षा हितैषी मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री को औपचारिक शिकायत सौंपने की तैयारी में हैं। साथ ही माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना के चलते संबंधित जिम्मेदारों पर अवमानना याचिका दाखिल की जाएगी। अब गरियाबंद की शिक्षा व्यवस्था को बचाने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप समय की मांग बन चुकी है।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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