तालाब घोटाले में खानापूर्ति, सिर्फ रोजगार सहायक पर गिरी गाज

अकलतरा। जांजगीर-चांपा के कल्याणपुर पंचायत में मनरेगा के तहत निर्मित निस्तारी तालाब को राखड़ से पाट दिया गया, जिस पर 10 लाख रुपये खर्च हुए थे। जांच में गड़बड़ी की पुष्टि के बाद भी जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। विधायक राघवेन्द्र सिंह ने विधानसभा में मामला उठाया था, लेकिन अफसरों की लापरवाही के चलते सिर्फ रोजगार सहायक पर कार्रवाई हो पाई। ग्रामीणों ने अब पुनः मांग की है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। यह मामला शासन-प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है।

ग्राम पंचायत कल्याणपुर में मनरेगा के अंतर्गत वर्ष 2013-14 में निर्मित पचपेडिया तालाब में गड़बड़ी के मामले में एक बार फिर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति होती दिख रही है। मामले में सिर्फ रोजगार सहायक की सेवा समाप्ति की कार्रवाई कर दी गई है, जबकि पूरे प्रकरण में पंचायत सरपंच, सचिव से लेकर जनपद स्तर के अधिकारी तक की भूमिका संदिग्ध रही है।

तालाब को राखड़ से पाटने की गड़बड़ी की शिकायत के बाद जांच कर दोषी पाए जाने पर केवल रोजगार सहायक को बलि का बकरा बनाया गया है। इससे पहले 10 दिसंबर 2024 को ही उक्त मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था, लेकिन एकतरफा कार्रवाई करते हुए अब सेवा समाप्ति की सूचना थमा दी गई है।

सवाल यह उठता है कि क्या पंचायत के सरपंच, सचिव, तकनीकी सहायक, और जनपद के संबंधित पर्यवेक्षकों की कोई जवाबदेही नहीं बनती? एक बड़ी लापरवाही में केवल एक व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराना, पूरे तंत्र की भूमिका को संदेह के घेरे में डालता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की कार्रवाई केवल दिखावे और फाइलों की खानापूर्ति के लिए की जाती है, ताकि असल दोषी बच सकें। यदि शासन सच में पारदर्शिता चाहता है, तो उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच कराकर सभी जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। वरना ऐसे भ्रष्टाचार आगे भी बेरोकटोक चलते रहेंगे।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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