ऑडियो वायरल होने के बाद तिल मिलाई कांग्रेस विधायक उलझ गई पत्रकारों के सवालों में

खुद को पाक साहब साबित करने देने लगी मनमाना तर्क
जांजगीर-चांपा। पामगढ़ की कांग्रेस विधायक शेषराज हरबंस पर रेत के अवैध उत्खनन और उसे संरक्षण देने के लिए पैसों के लेनदेन के वायरल हुए कथित ऑडियो को लेकर मचे बवाल के बाद गुरुवार को उन्होंने एक निजी होटल में प्रेसवार्ता की। लेकिन जवाब देने आए विधायक खुद ही सवालों के घेरे में फंस गईं।
प्रेसवार्ता के दौरान विधायक ने दावा किया कि ऑडियो को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और उन्हें राजनीतिक व सामाजिक रूप से बदनाम करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने यहां तक आरोप लगाया कि स्थानीय पत्रकार और कुछ लोग मिलकर इस पूरे प्रकरण को हवा दे रहे हैं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि ऑडियो वायरल करने वालों के खिलाफ वह पुलिस में एफआईआर दर्ज कराएंगे।
हालांकि, जब पत्रकारों ने उनसे सीधा सवाल किया कि यदि लेन-देन नहीं हुआ तो उसके प्रमाण क्या हैं, तो विधायक ठोस सबूत पेश नहीं कर पाए। पैसों के लेन-देन से इंकार करते हुए भी वे यह नहीं बता सके कि ऑडियो में दर्ज आवाज़ उनकी क्यों प्रतीत हो रही है। उनके पास इस बात का भी कोई सटीक उत्तर नहीं था कि बार-बार नामित प्रशासनिक अधिकारियों को लेकर चर्चा क्यों हुई।इस दौरान उनके द्वारा वितरित की गई एक विज्ञप्ति में यह उल्लेख था कि कुछ लोग सरकारी जमीन पर कब्ज़ा कर बेचने का गोरखधंधा क्षेत्र में चला रहे हैं जिसे रोकने उनके द्वारा कदम उठाए गए हैं इसी का परिणाम है कि उन्हें बदनाम करने और उन्हें रोकने ये हथकंडा अपनाया गया है।
प्रेसवार्ता के अंत तक विधायक अपनी ही दलीलों में उलझते नजर आईं और बिना ठोस जवाब दिए कार्यक्रम समाप्त कर हो गया। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि अपने ऊपर लगे गंभीर आरोपों से यूं ही बच सकता है? जनता यह जानना चाहती है कि जब पारदर्शिता और ईमानदारी की कसौटी पर सबसे पहले नेताओं को खरा उतरना चाहिए, तो ऐसे मामलों में चुप्पी और आरोप-प्रत्यारोप आखिर किसका बचाव कर रहा है।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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