आदिवासी के 10 एकड़ ज़मीन पर दलालों का डाका – भटगांव।

मृत महिला को जिंदा दिखाकर रची साज़िश, 10 एकड़ पैतृक भूमि पर किया फर्जीवाड़ा।

मोहन प्रताप सिंह

राजधानी से जनता तक, सूरजपुर/भटगांव:– जिले के भटगांव तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत सोनपुर (सु) में एक ऐसा फर्जीवाड़ा सामने आया है जिसने पूरे जिले को हिला दिया है। यहां 2018 में मृत हो चुकी आदिवासी महिला ऋषि बाई पति बलीराम उरांव को कागज़ों पर जिंदा दिखाकर उसका आधार कार्ड बनवाया गया और फिर उसी पहचान के सहारे 10 एकड़ पैतृक कृषि भूमि की रजिस्ट्री कर दी गई। यह सिर्फ धोखाधड़ी नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के अधिकारों पर सीधा डाका है।

अनुसूचित जाति की महिला बनी ऋषि बाई

मामले में खुलासा हुआ है कि अनुसूचित जाति की महिला बच्ची पिता बालम, निवासी नरेशपुर ने आधार कार्ड में हेरफेर कर खुद को मृत आदिवासी महिला ऋषि बाई के रूप में पेश किया। उसने भूमाफियाओं के साथ मिलकर न केवल फर्जी दस्तावेज़ तैयार किए, बल्कि रजिस्ट्री कार्यालय में पहुंचकर स्वयं को मृत महिला बताकर सौदा पक्का कर दिया।

पैतृक भूमि पर फर्जी दस्तावेज़ों से कब्ज़ा

इस धोखाधड़ी से आदिवासी परिवार की लगभग 10 एकड़ कृषि भूमि, जो उनकी आजीविका का मुख्य आधार थी, अवैध रूप से बेच दी गई। मृत महिला के नाम पर तैयार आधार कार्ड और रजिस्ट्री पत्र इस पूरे षड्यंत्र का सबसे बड़ा सबूत हैं।

राजस्व और रजिस्ट्री कार्यालय की भूमिका संदेहास्पद

इस फर्जीवाड़े ने राजस्व विभाग और रजिस्ट्री कार्यालय की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि बिना अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत के इतना बड़ा खेल संभव ही नहीं था। दलालों और अफसरों की लंबे समय से चल रही जुगलबंदी का यह ताज़ा उदाहरण प्रशासनिक तंत्र की नाकामी को उजागर करता है।

आदिवासी समाज में आक्रोश, बिगड़ सकती है कानून-व्यवस्था

घोटाले के उजागर होने के बाद आदिवासी समाज में गुस्सा साफ झलक रहा है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर दोषियों पर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई तो वे आंदोलन की राह अपनाएंगे। लोगों का कहना है कि इस तरह के फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे गरीब और अनपढ़ आदिवासी आसानी से शिकार बनाए जा रहे हैं, जिससे जिले की कानून-व्यवस्था बिगड़ना तय है।

पीड़ित पक्ष की मांग, दोषियों को जेल भेजा जाए

पीड़ित परिवार और ग्रामीणों ने पुलिस अधीक्षक सूरजपुर एवं उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए। भूमाफियाओं के साथ-साथ राजस्व और रजिस्ट्री कार्यालय से जुड़े कर्मचारियों पर भी कठोर कार्रवाई की जाए। साथ ही, मृत महिला की पैतृक भूमि को तत्काल प्रभाव से वापस लेकर पीड़ित परिवार को सौंपी जाए।

सवालों के घेरे में प्रशासन

यह प्रकरण सिर्फ़ एक परिवार की ज़मीन हड़पने का मामला नहीं है, बल्कि प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी करारा तमाचा है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस गंभीर फर्जीवाड़े पर कितनी सख़्ती दिखाता है या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह कागज़ों में दबाकर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।

 

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