राजधानी से जनता तक/ चरण सिंह क्षेत्रपाल

देवभोग – भारत सरकार व राज्य सरकारों ने ग्रामीण क्षेत्रों में असिंचित भूमियों में सिंचाई हेतु व्यापक रूप से सिचाई परियोजना को लेकर मूलभूत सुविधाएं नहर निर्माण कार्य में लाखों करोड़ों रुपए देवभोग तहसील मुख्यालय के ग्राम पंचायत अमाड़ ,माडागांव पुराना पानी आश्रित ग्राम कोदो बेड़ा व कुम्हड़ईकला, डूमरबाहाल, नवा गुड़ा,कोसमकानी, निष्ठीगुडा़ लगभग 8-10 किलोमीटर की दूरी तक नहर निर्माण कराया गया है। तो वही लगातार तीन चार दिन से गिर रही बारिश में कोदो बेड़ा के पास एक किसान चौवन सिंह पात्र के खेत के पास नहर अचानक ही अपने आप ही धस गई, जिससे नहर का बहती सारा पानी धान फसल को बहा ले गई, नहर भी ऐसी धंसी की खेत के बीचोबीच 10 फीट गहरा और 7फीट चौड़ा गढ्ढा बन गया। जिससे किसान को अपने खेतों में धान फसल उत्पादन किया गया था वह भारी क्षति पहुंची है। किसान को जैसे ही खबर मिली की उसके खेत के पास नहर की पानी अचानक बारिश में फटी तो पूरे नहर की पानी खरीफ फसल उत्पादन को क्षति पहुंचाई है, इस मौके पर उक्त किसानों की भारी भीड़ जमाव हो गई।
नहर पानी से धो गया सारा खरीफ फसल
चौवन सिंह पात्र के खेत के पास नहर फटने से जमीन में लगी हुई खरीफ फसल उत्पादन पूरी तरह से चपेट हो गया है।धंसने की खबर पीड़ित किसानों ने शासन-प्रशासन को अवगत करवाई गई है तो इस आपदा से निपटने में संबंधित विभाग खेत का मुआयना किसानों को कब-तक दें सकतीं हैं।इसका इंतजार किसानों करना होगा। उन्होंने और भी यह बताये कि नहर के धंस जाने से कई किसानों के खेतों में धान फसल उत्पादन काफी प्रभावित हुई हैं।आस -पास खेत में भी जल भराव हो गया है जिसके कारण गड्ढे हो गए और पूरे फसल चपेट हो गया है।
जलसंसाधन विभाग की लापरवाही से नहर बीच धंसी किसानों के खेतों में धान फसल को किया बरबाद
चौवन सिंह पात्र ने को बताया कि जलसंसाधन विभाग द्वारा नहर निर्माण कार्य में लापरवाही बरतने पर नहर के एक हिस्से की ओर से धसं गई, जिससे नहर की पूरी पानी जमीन में बहकर खरीफ फसल को अत्यधिक नुकसान हुई है, देखते ही देखते मिट्टी धंसने लगी और कुछ ही मिनटों में विशाल गड्डा बन गया।इन नहर निर्माण कार्य के लिए शासन-प्रशासन ने लाखों करोड़ों रुपए स्वीकृत दी है। लेकिन इधर संबंधित विभाग व ठेकेदार मिली भगत से गुणवत्ताहीन कार्य करवाए जाने से ग्रामीण जनों को भुगतना पड़ता हैं।
गांव के उक्त किसानों ने कहा कि हम लोग नहर धंस गई है तो उसे देखकर आश्चर्य चकित हो गये और घबराहट में पड़ गए हैं।गांव के लोगों के बीच तरह तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
गांव के किसानों ने इसे संबंधित विभाग की बड़ी लापरवाही बता रहे हैं। जिससे कि हल्के फुल्के तीन चार दिन तक गिरी बारिश में नहर धंसने से फसल बरबाद हो गई है, यहां पर नहर अचानक धस गई तो खेती में जल भर गई और खेत गड्ढे में तब्दील हो चुकी है।हम सभी ग्रामीण किसान इसे प्राकृतिक घटना में जोड़े या जलसंसाधन विभाग की घोर लापरवाही समझें।
नहर से प्रभावित खेत और गड्ढे के करीब कोई नहीं जाए इसका ध्यान रखा जा रहा है। खेत के चारों ओर लकड़ी से घेरा बंधी कर दिया गया है। लोगों को हिदायत दी गई है कि इस धंसे हुए नहर व गड्ढे से दूर रहें।
26 सितंबर 2025 दिन शुक्रवार को नहर धंसी तो सबसे पहले कोदो बेड़ा निवासी चौवन सिंह पात्र किसान ने नहर धंसी हुई देखा और फिर वह अपने गांवों के लोगों को बताया ,जब वो सुबह के वक्त खेत पर गए हुए थे और अचानक से नहर बीच में धीरे-धीरे जल बहती गई और भरभराकर धंस गई। खेत के मालिक चौवन सिंह पात्र ने इस घटना से काफी डर गए ।
नहर निर्माण में लाखों करोड़ों रुपए खर्च, अल्प समय में अस्तव्यस्त
गरियाबंद जिले के देवभोग क्षेत्र में सिंचाई विभाग द्वारा वर्ष 2018-19 में अमाड डायवर्सन में कुल 1907 लाख रुपए संबंधित विभाग द्वारा खर्च हो चुके हैं। जलसंसाधन विभाग तेल नदी की गहराई को मापें बिना अपनी मनमुताबिक 10 फीट गहराई रख दीं गई। जबकि समतलीकरण के आधार पर 20 फीट गहराई रखी जानी चाहिए।
जलसंसाधन विभाग ने नहर निर्माण कार्य में 20 करोड़ रुपए खर्च चुकें हैं। शासन-प्रशासन की करोड़ों रुपए को दुरूपयोग किया गया है।
खरीफ फसल नुकसान हुआ, किसानों को लाखों रूपए का नुक़सान पहुंचा
उक्त किसान चौवन सिंह पात्र ने बताया कि जिला सहकारी बैंक से लाखों रूपए ऋण लेकर अपने खेतों में धान फसल का उत्पादन किया गया था, और एक दिन अचानक प्राकृतिक आपदा से पूरे खरीफ फसल प्रभावित हो गया। जलसंसाधन विभाग द्वारा गुणवत्ता से नहर निर्माण में संयम नहीं बरती गई। जिसके कारण आज ग्रामीण किसानों को विभाग व ठेकेदार के करतूतों नतीजा भुगतना पड़ रहा है।
किसान शासन-प्रशासन से कि अपील खरीफ फसल की क्षतिपूर्ति राशि
किसान ने कहा कि खेती किसानी में अधिक ध्यान दिया जाता है, चुकी खरीफ फसल उत्पादन में बारह महीने के हर ऋतुओं से गुजर कर फसल उत्पादन किया जाता है।
क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिली तो होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल
उक्त किसान चौवन सिंह पात्र ने कहा कि यदि शासन-प्रशासन मेरे जमीन पर उगाई गई धान फसल की क्षतिपूर्ति राशि प्रदान नहीं करती है तो सीधे तौर पर जिला व ब्लाक मुख्यालय में मेरे सब परिवार अनिश्चितकालीन हड़ताल करने को तैयार है।
निष्कर्ष
सरकार ने किसानों के हित में करोड़ों रुपए खर्च रही है और इधर जमीनी स्तर पर कार्य को संबंधित अधिकारी व ठेकेदार मिली भगत से गुणवत्ताहीन कार्य करवा कर नोट कमाने के चक्कर में बड़ा खेल खेला जा रहा है। इधर किसान ने अपने खेतों में धान फसल उत्पादन किया है और उसी दौरान नहर धस जाने से पूरी पानी खेत में लगे धान फसल को बहा ले जाती है। एक साल की मेहनत पर पानी फेर दिया गया। इन प्राकृतिक आपदा की वजह से किसान अपने खेतों से एक भी बालू धान कटाई नहीं कर सकता। इस लिए उन्होंने अपनी नुकसान की भरपाई के लिए राजस्व विभाग में क्षतिपूर्ति सहायता राशि की की जा रही है मांग। यदि क्षतिपूर्ति सहायता राशि प्रदान नहीं किया गया तो उसी दौरान शासन-प्रशासन के खिलाफ आंदोलन कर उठेगी बुलंद आवाज में विरोध प्रदर्शन होगी। इसके जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी व ठेकेदार होंगे।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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