राजधानी से जनता तक/ चरण सिंह क्षेत्रपाल

देवभोग – 02 अक्टूबर 2025 को देवभोग ब्लाक के विश्राम गृह में कांग्रेसियों ने गांधी और शास्त्री जी का जयंती दिवस मनाई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष भूपेंद्र मांझी ने बताया कि हर साल 2 अक्टूबर को पूरे देश में गांधी और शास्त्री जी का जयंती मनाई जाती है।यह दिन हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और शास्त्री के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। गांधी जयंती केवल एक राष्ट्रीय अवकाश नहीं है बल्कि यह हमें सत्य अहिंसा और सादगी के आदर्शों का याद दिलाता है।
गांधी जी का जीवन –
महात्मा गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 को पोरबन्दर गुजरात में हुआ था,उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था, और माता का नाम पुतलीबाई गांधी था, उनके धर्म पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था, उनके माता-पिता ने उन्हें सत्य धार्मिक आस्था और सरल जीवन के मूल्य सिखाए गांधी जी हमेशा सत्य अहिंसा और सादगी के अनुयाई थे।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी, उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा को अपने हथियार बनाया। दांडी यात्रा और भारत छोड़ो आंदोलन उनके नेतृत्व में हुए, जिसने अंग्रेज़ो की नींव हिला दी, उनके नेतृत्व में भारत ने बिना हिंसा के स्वतंत्रता प्राप्त की।
तीन बंदर और शिक्षाएं
गांधी जी ने हमें तीन बंदर का सिद्धांत भी सिखाया कुछ ना देखें, कुछ ना सुने, कुछ ना कहें। इसका तात्पर्य यह है कि हमें बुराई से दूर रहना चाहिए और अपने जीवन में अच्छे विचार अपनाने चाहिए। उन्होंने हमें सादगी आत्मा निर्भरता और सेवा भाव का महत्व भी बताया।
आज के समय में महत्व
गांधी जी के विचार केवल भारत के लिए नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व के लिए प्रेरणार्थी है, संयुक्त राष्ट्र संघ ने 02 अक्टूबर को इंटरनेशनल डे आफ नान वायलिन्स घोषित किया है। आज भी सत्य अहिंसा ईमानदारी और सादगी की प्रांसगिकता बनी हुई है। अगर हम गांधी जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाएं तो समाज में शांति और भाईचारा स्थापित हो सकता है।
शास्त्री जी का जीवन शैली
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 02 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय उत्तरप्रदेश में हुआ था, उनके पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव शिक्षक थे। माता राम दुलारी देवी थीं, शिक्षा वाराणसी के काशी विद्यापीठ से शिक्षा प्राप्त की । जहां उन्हें” शास्त्री ” की उपाधि मिली, स्वतंत्रता संग्राम और राजनीतिक करियर शास्त्री जी ने 1921 में गांधी और मदनमोहन मालवीय द्वारा आयोजित एक सार्वजनिक सभा में भाग लेकर स्वतन्त्रता आन्दोलन में कदम रखा। भारत की स्वतंत्रता के बाद अपने गृह राज्य उत्तरप्रदेश का संसदीय सचिव फिर गृह व परिवहन मंत्री नियुक्त किया गया। जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद शास्त्री जी 09 जून 1946 को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने और 11 जनवरी 1966 तक इस पद पर रहे।
योगदान और विरासत
शास्त्री जी ने ” जय जवान जय किसान ” का नारा 1965 को भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्होंने देश को एकजुट करने और सैनिकों तथा किसानों के महत्व को दर्शाने के लिए यह प्रसिद्ध नारा दिया।
हरित क्रांति
देश को खाद्यान्न संकट से निकालने के लिए उन्होंने हरित क्रांति को बढ़ावा दिया।
सादगी और नैतिकता
वह अपनी सादगी ईमानदारी और नैतिक मूल्यों के लिए जाने जाते थे,रेल मंत्री रहते हुए एक बड़ी रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेकर पद से इस्तीफा देना एक उदाहरण है।
निधन – ताशकन्द समझौता 1965 में भारत और पाकिस्तान युद्ध के बाद 11 जनवरी 1966 को ताशकन्द में ही दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
भारत रत्न
शास्त्री जी को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
निष्कर्ष
गांधी और शास्त्री जी का जयंती हमें यह याद दिलाता है कि शांति सत्य ओर अहिंसा के मार्ग पर चलकर भी बड़े से बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। हमें बापू के आदर्शों को अपनाकर एक बेहतर और न्यायपूर्ण समाज बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
आज के इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से- जनक ध्रुव विधायक बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र,ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष भूपेंद्र मांझी, राजेश तिवारी नगर पंचायत देवभोग अध्यक्ष,अरूण सोनवानी,अनामो बघेल सोदर कश्यप, विनोद ध्रुवा,जय कुमार यादव, सिधार निधी, नवीन सेन, सूर्यकांत सिंदूर पार्षद, व अन्य सभी पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता मौजूद थे।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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