भटगांव में मजदूरों की जीत की गूंज — संघर्ष से समाधान तक, भूमिगत खदानों को मिला नया जीवन।

खबर का बड़ा असर…..

आंदोलन ने दिलाया परिणाम, खदानों को मिला एक वर्ष का सीटीओ — सैकड़ों परिवारों में लौटी मुस्कान, मजदूरों की मेहनत हुई सफल।

मोहन प्रताप सिंह

राजधानी से जनता तक, सूरजपुर/भटगांव:–  एस.ई.सी.एल भटगांव की भूमिगत खदानों के बंद होने के संकट पर राजधानी से जनता तक में प्रकाशित खबर और मजदूर संघ के लगातार संघर्ष का बड़ा असर सामने आया है।

लगातार प्रयासों और एकजुटता के बल पर मजदूर संघ की मेहनत रंग लाई, और अंततः एसईसीएल प्रबंधन ने भटगांव की भूमिगत खदानों को एक वर्ष के लिए सीटीओ (सहमति पत्र) प्रदान कर दिया है। इस निर्णय के साथ ही क्षेत्र के करीब 1100 मजदूरों की नौकरी सुरक्षित हो गई है, जिससे मजदूर वर्ग और उनके परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गई है।

संघर्ष की आग से निकली जीत की चमक — एकता बनी मजदूरों की सबसे बड़ी ताकत

भटगांव मजदूर संघ ने संकट के समय एकजुटता की मिसाल पेश की। कई दिनों तक धरना, प्रदर्शन और विरोध के बावजूद हिम्मत नहीं हारी। संघ के नेताओं ने प्रशासन और कंपनी प्रबंधन तक अपनी बात बुलंद आवाज़ में रखी और नतीजा सबके सामने है। यह जीत हमारी मेहनत, एकता और अडिग संकल्प की जीत है, मजदूर संघ के पदाधिकारियों ने कहा।

सरकार और कंपनी का आभार — सामूहिक प्रयासों से मिली राहत

संघ ने इस फैसले के लिए क्षेत्रीय विधायक एवं मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े (महिला एवं बाल विकास), वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी, प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय तथा एसईसीएल कंपनी प्रबंधन का आभार व्यक्त किया है। संगठन ने कहा कि सरकार और कंपनी दोनों के सकारात्मक हस्तक्षेप से ही मजदूरों के जीवन में फिर से उजाला लौटा है। यह फैसला न केवल मजदूर वर्ग के लिए राहत की खबर है, बल्कि भटगांव क्षेत्र की औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों को भी नई दिशा देगा।

संघ का संकल्प — संघर्ष जारी रहेगा, जब तक मजदूरों को पूरा सम्मान नहीं

मजदूर संघ ने साफ कहा कि यह जीत सिर्फ शुरुआत है। हम तब तक संघर्ष करते रहेंगे, जब तक मजदूरों को उनका पूरा हक़, स्थायी सुरक्षा और सम्मान नहीं मिलता, संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा। संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में पुनः लापरवाही या उदासीनता देखी गई तो मजदूर फिर से मैदान में उतरने से पीछे नहीं हटेंगे।

भटगांव की सांसें लौटीं — स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिला नया सहारा

खदानों के संचालन जारी रहने से भटगांव और आसपास के क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को बड़ी राहत मिली है। स्थानीय व्यवसाय, परिवहन, ठेका श्रमिक, खान से जुड़े व्यापारी, छोटे दुकानदार और मजदूर परिवार — सभी के जीवन में फिर से स्थिरता लौट आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से न केवल रोजगार सुरक्षित हुआ है, बल्कि क्षेत्र की विकास यात्रा को भी नया संबल मिला है।

खबर का असर — राजधानी से जनता तक बनी आवाज़ आम जन की

राजधानी से जनता तक में प्रकाशित भटगांव की भूमिगत खदान संकट पर खबर ने प्रदेश स्तर पर बड़ा असर डाला। प्रशासनिक स्तर पर तेजी से कार्यवाही हुई, और मजदूरों की आवाज़ आखिर शासन-प्रबंधन तक पहुंची। यह एक बार फिर साबित करता है कि जब मीडिया जनता की सच्ची आवाज़ बनती है, तो बदलाव अवश्य आता है।

निष्कर्ष — संघर्ष की जीत, उम्मीद की नई सुबह

भटगांव का यह संघर्ष आने वाले समय में एकता, साहस और श्रमिक अस्मिता की मिसाल बनकर याद किया जाएगा। यह जीत उन मजदूरों की है जिन्होंने हार नहीं मानी, और यह संदेश देता है कि अगर इरादा सच्चा हो, तो हालात भी झुक जाते हैं।

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