खेल के माध्यम से विश्वास और विकास की नई गाथा – बस्तर ओलंपिक 2025

गोंगला से उठी नई ऊर्जा की लहर, एसडीएम श्री सूरज कश्यप शुभारंभ कार्यक्रम में हुए शामिल

नवीन दांदडें जिला प्रमुख 

सुकमा- कलेक्टर श्री देवेश कुमार ध्रुव के दूरदर्शी नेतृत्व एवं जिला सीईओ श्री मुकुंद ठाकुर के मार्गदर्शन में मंगलवार को ‘बस्तर ओलंपिक 2025’ का पंचायत स्तरीय शुभारंभ पूरे उत्साह और उल्लास के साथ किया गया।

ग्राम पंचायत गोंगला में आयोजित शुभारंभ कार्यक्रम में एसडीएम सुकमा श्री सूरज कुमार कश्यप ने विशेष रूप से उपस्थित होकर खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया। शुभारंभ कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, पंचायत प्रतिनिधि, अधिकारी-कर्मचारी और ग्रामीणजन उपस्थित रहे। पूरे क्षेत्र में खेल महोत्सव का उल्लासपूर्ण माहौल देखने को मिला। खेल मैदानों में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की उत्साही भागीदारी ने यह सिद्ध कर दिया कि आज बस्तर खेलों के माध्यम से विश्वास, एकता और विकास की नई दिशा में अग्रसर है।

43,000 से अधिक खिलाड़ियों की होगी भागीदारी – बस्तर की नई पहचान

पिछले वर्ष जहां लगभग 14,000 खिलाड़ियों ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था, वहीं इस वर्ष यह संख्या बढ़कर 43,099 प्रतिभागियों तक पहुंच गई है — जो अपने आप में अभूतपूर्व है।

इनमें 19,414 पुरुष और 23,685 महिला खिलाड़ी शामिल हैं। यह बढ़ी हुई भागीदारी न केवल ग्रामीणों की खेलों के प्रति बढ़ती रुचि को दर्शाती है, बल्कि यह भी प्रमाणित करती है कि बस्तर का युवा अब आत्मविश्वास, ऊर्जा और आत्मनिर्भरता की नई मिसाल पेश कर रहा है।

बस्तर ओलंपिक – विश्वास, शांति और विकास का संगम

कलेक्टर श्री देवेश कुमार ध्रुव ने कहा “बस्तर ओलंपिक केवल खेल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि जनता और शासन के बीच विश्वास का जीवंत सेतु है।

इस आयोजन का उद्देश्य ग्रामीण प्रतिभाओं को पहचानना, युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ना और ‘स्पोर्ट्स फॉर पीस’ के माध्यम से समाज में एकता, सौहार्द और शांति को मजबूत करना है। उन्होंने आगे कहा कि बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजनों से न केवल खिलाड़ियों को मंच मिलता है, बल्कि समाज में सकारात्मकता, सहयोग और भाईचारे का भाव भी मजबूत होता है।

स्थानीयता और आधुनिकता का अद्भुत संगम

‘बस्तर ओलंपिक 2025’ में आधुनिक खेलों के साथ-साथ बस्तर की पारंपरिक खेल विधाओं को भी समान महत्व दिया गया है। एथलेटिक्स, तीरंदाजी, फुटबॉल, बैडमिंटन, कबड्डी, खो-खो, वॉलीबॉल, हॉकी, कराते और वेटलिफ्टिंग जैसे आधुनिक खेलों के साथ-साथ बस्तर की सांस्कृतिक पहचान से जुड़े स्थानीय खेलों को भी प्रमुख स्थान दिया गया है।

ग्रामीण महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया, जिससे यह आयोजन खेल के साथ-साथ सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का उत्सव बन गया। एसडीएम श्री कश्यप ने विजयी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया।

समावेशिता की मिसाल – सबको साथ, सबका विकास

इस बार की प्रतियोगिता विशेष रूप से समावेशिता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हो रही है। जूनियर (14–17 वर्ष) और सीनियर वर्ग के अतिरिक्त, इस आयोजन में दिव्यांग खिलाड़ी और आत्मसमर्पित नक्सली युवा भी हिस्सा ले रहे हैं। बस्तर ओलंपिक की यह पहल प्रशासन की संवेदनशीलता और समावेशी नीति को दर्शाती है, जहाँ खेल माध्यम बन रहे हैं पुनर्वास, विश्वास और नए जीवन की शुरुआत का।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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