तेल नदी पार छत्तीस गांवों में नशा मुक्ति ग्राम की परिकल्पना पर संकल्पित – झाखरपारा भाजपा मण्डल अध्यक्ष भगवानों बेहेरा

राजधानी से जनता तक/ चरण सिंह क्षेत्रपाल

देवभोग – गरियाबंद जिले के देवभोग विकास खण्ड के अंतर्गत आने वाले तेल नदी पार छत्तीस गांवों को नशा मुक्त ग्राम बनाने की परिकल्पना को साकार करने हेतु भारतीय जनता पार्टी झाखरपारा मण्डल अध्यक्ष भगवानों बेहेरा ने लगातार कार्य में जोर दे रहे हैं, आपको को बता दें कि पिछले कई सालों से उन्होंने शासन-प्रशासन के पक्ष में सकारात्मक विचार धारा से जुड़े हुए हैं और वे गांवों – गांवों में जाकर ग्रामीण जनों से इस विषय पर चर्चा करते हुए नशा मुक्त उन्मूलन रैली निकाल कर लोगों को जागरूक करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है। कुछ वर्षों पहले नशा मुक्त उन्मूलन रैली निकाल कर लोगों को जागरूक करने में योगदान दिया गया था , इनकी गरिमामई सान्निध्य से गरियाबंद जिले के तात्कालीन एसपी अमित तुकाराम कांबले जी के करकमलों द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया था।

भाजपा मण्डल अध्यक्ष भगवानों बेहेरा ने बताया कि देवभोग क्षेत्र अंतर्गत तेल नदी पार छत्तीस गांवों में शराब, अन्य नशीले पेय पदार्थ जो समाज को खोखला करने में कोई कसर नहीं छोड़ते है ऐसे खराब करोबार में सक्त नियंत्रण किया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है,क्योंकि आज के दिन में शहर से छोटे से गांव अंचलों में जितने भी लोग हैं लगभग 90% नशें में लतपथ हो गये है।इन नशा पान सेवन करने की वजह से गांव अंचलों में दिनों-दिन वाहनें में दुर्घटनाएं हो रही है, और कई मासूम लोगों की जाने चली जा रही है। बेहरा ने बताया कि देवभोग क्षेत्र के नदी पार गांव में उड़िसा राज्य में निर्माण हुआ डबल घोड़ा पाउच में नियंत्रण किया जाना अत्यंत आवश्यक है। ये डबल घोड़ा पाउच जब से छत्तीसगढ़ में खपाने में कामयाब हुई है तो आधा से ज्यादा लोग खतरनाक बीमारी जैसे लीवर किडनी व हाईब्लड प्रेशर से ज्यादा शिकार हो रहे है। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे छोटे कम उम्र के बच्चे भी नशें में लतपथ हो गये है। डबल घोड़ा पाउच जब से क्षेत्र में कारोबार होना शुरू हो गया है, क्षेत्र में सबके घरों में एक ना एक व्यक्ति नशा पान करने की कुप्रभाव से विलुप्त हो गए हैं। इस बुरा असर पड़ने से समाज में कुरीतियां फैली हुई है, सामाजिक धार्मिक व अन्य घरेलू कामकाज के दौरान शराब पीकर लोग आपस में लड़ते झगड़ते हैं, समाज हित में काम करने की व्यवस्था बनी बनाई गई काम बिगड़ जाती है। शादी विवाह चल रही है और उसी दौरान नशीले सेवन करने लोग भगदड़ मचा जाते है। जिसके कारण व्यक्ति समाज में सदा- सदा के लिए कलंकित हो जाते है। ऐसे व्यक्ति समाज में सर उठा कर सुख शांति जीवन व्यतीत नहीं कर सकते। क्षेत्र में सामाजिक कार्य हो या धार्मिक अनुष्ठान हो ऐसे ऐसे जगहों पर भी कई लोग नशा पान से लतपथ होकर अपने चरितार्थ पर बुरा दाग लगायें जातें है। जिससे कि व्यक्ति को घिन भावना से देखते हैं, समाज में उनकी लोकप्रियता और मान-सम्मान का आदर्शों का पदवी पर ख़राब सील लग जाता है। व्यक्ति को समाज में रहते हुए भी वह हमेशा सर झुका कर ज़ीने का अवार्ड मिल जाता है। चाहे वह अमीर जादे हो या कुटीर में जीवन निर्वाहक हो। उन्होंने और भी यह बताया कि छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के देवभोग क्षेत्र में जितने भी गांव है, जहां पर नशा पान करने में निपुण हैं ऐसे गांवों में कुछ वर्षों पहले शासन-प्रशासन की सहयोग से गांव में नशा मुक्ति अभियान रैली निकाली गई थी,और उसी दरम्यान गांव के लोगों को जागरूक भी किया गया था। इस लिए शासन प्रशासन से आग्रह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बहुप्रचलित नशीले पदार्थ शराब गुटका तंबाकू, बीड़ी,सिगरेट, गुड़ाखू ,गांजा जैसे मादक पदार्थों में प्रतिबंध लगाई जाए ताकि आगामी भविष्य में समाज के लोगों को कुरीतिया ,कुप्रभाव का दूष परिणामों से निजात मिल सकें , वहीं पर समाज सुखी जीवन व्यतीत करने में सफल हो।

नशा पान करने से होने वाले शरीर स्वास्थ्य और परिवार में गहरा प्रभाव

 

नशा पान से मनुष्य की अल्प आयु में ही नुकसान होते है

नशा पान सेवन से समाज में कुरीतियां फैलाती है, आगे बढ़ना विराम लग जाता है। परिवार में सगा संबधी आपसी तालमेल टूट जाता है। नशा पान लतपथ होकर पति-पत्नी में प्रेम मधुर संबंध बिगड़ जाती है। घर के धन अचल संपत्ति सब कुछ हाथ से निकल जाता है। नशा पान करने से मन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे धन,जन हानी होने से क्षति पहुंचती है। अपने बाल बच्चों को अच्छी शिक्षा अध्ययन कराने उच्च शिक्षा स्कूल में पढ़ा नहीं सकते है। अच्छी शिक्षा के अभाव में बच्चे कुप्रवृत्ति में संगति हो जाते है और बड़े- बड़े कारनामे में कोई कसर नहीं छोड़ते। नशीले सेवन से समाज में कुरीतियां पनपती है, नशा व्यक्ति और समाज को खोखला कर देती है। जिससे समाज और व्यक्ति इधर उधर की दर दर टोकरे खाने में मजबूर होते है। मनुष्य समाज में रहकर भी बेजुबानों की भाती जीवन व्यतीत करते हैं। सबसे ज्यादा तो आर्थिक स्थिति को कमजोर बना देती है,यह सबसे बड़ी समस्या है। आर्थिक स्थिति कमजोर होना मतलब जीवन में दुखदाई की घड़ी का समागम होना। जीवन में आर्थिक तंगी से परिवार कलह, जीवन की दिनचर्या चरमरा जाना।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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