भाजपा और कांग्रेस के क्या है मजबूत और कमजोर पक्ष, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर
खैरागढ़। खैरागढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस की यशोदा वर्मा और भाजपा के विक्रांत सिंह के बीच सीधा मुकाबला है। करीब ढाई माह पहले टिकट फाइनल होने के कारण विक्रांत सिंह प्रचार अभियान में कांग्रेस से आगे चल रहे हैं। वहीं देर से टिकट फाइनल होने के बाद भी सत्ता पक्ष होने का सीधा फायदा यशोदा वर्मा को मिल रहा है। आईए जानते हैं कि दोनों प्रत्याशियों के मजबूत और कमजोर पक्ष को लेकर जनता के बीच क्या चर्चा है।
पार्टी-कांग्रेस
प्रत्याशी- यशोदा वर्मा
राजनीतिक अनुभव
सरपंच, जिला पंचायत सदस्य, 2022 में विधानसभा उप चुनाव जीतीं।
सामाजिक गणित
यशोदा वर्मा लोधी समाज व ओबीसी वर्ग से आती है। खैरागढ विधानसभा़ में लोधी समाज व ओबीसी वर्ग की सर्वाधिक संख्या है। यह चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है।
मजबूत पक्ष
जाति समीकरण के लिहाज से मजबूत है। क्योंकि यह समाज क्षेत्र में एकजुट है और संख्याबल में अधिक है।
कांग्रेस के चुनावी घोषणा के बाद किसानों में जबर्दस्त उत्साह।
सत्ता सरकार होने का लाभ।
2022 विधानसभा उपचुनाव में की गई घोषणा जिसमें जिला निर्माण, साल्हेवारा को पूर्ण तहसील, जालबांधा और बाजार अतारिया में सालों पुरानी कॉलेज की मांग पूरी।
सरल और सहज व्यक्तित्व हैं। कोई भी सीधे अपनी बात रख सकता है।
कमजोर पक्ष
विधायक बनने के डेढ़ साल बाद विकास के कार्य नहीं।
संगठन में पकड़ कमजोर।
कमजोर प्रबंधन।
पार्टी में अनुशासन नहीं।
आपसी अंर्तकलह।
पार्टी – भाजपा
प्रत्याशी– विक्रांत सिंह
अनुभव-
नगर पंचायत अध्यक्ष, नगर पालिका अध्यक्ष, जनपद पंचायत अध्यक्ष, जिला पंचायत उपाध्यक्ष। लगातार 19 वर्षों से निर्वाचित पदों पर हैं।
जाति समीकरण-
ठाकुर है। संख्या के हिसाब काफी कम हैं लेकिन जातिवाद के खिलाफ माहौल बनने से सामान्य वर्ग का रूझान विक्रांत के साथ।
मजबूत पक्ष
19 साल से लगातार निर्वाचित पदों पर हैं। नगर पंचायत व पालिका में विकास के ढेरों कार्य किए हैं। जनता के सीधे संपर्क में है।
पिता सिद्धार्थ सिंह 2003 में विधानसभा चुनाव लड़़ चुके हैं। दादा राजनीति में रहे हैं। लिहाजा क्षेत्र में राजनीतिक जड़ें काफी मजबूत।
युवा वर्ग में अच्छी पकड़।
धन बल में काफी मजबूत।
प्रभावशाली व्यक्तित्व, कुशल वक्ता।
कमजोर पक्ष
15 साल भाजपा के सत्ता में विक्रांत के करीबी आर्थिक रूप से काफी मजबूत हुए। अधिकांश जमीनी और निष्ठावान कार्यकर्ता जमीन पर ही रह गए। वे आगे नहीं बढ़ पाए।
विक्रांत सिंह की जीत से वर्ग विशेष की दबंगई बढ़ सकती है। लोगों में इस बात का डर व्याप्त है।
पुराने भाजपाई नाराज है। वे हाशिए पर हैं। संगठन में विक्रांत समर्थकों का एकतरफा दबदबा है।
परिक्रमावादी लोगों से अधिक घिरे हुए है। इसकी वजह से निष्ठावान व योग्य लोगों ने दूरी बना ली।

Author: Rajdhani Se Janta Tak



