कलेक्टर के निरीक्षण में मिली खामियां, कई समितियों में चल रहा खेल, हालात नोडल अधिकारी के नियंत्रण से बाहर
राजधानी से जनता तक । रायगढ़ । धान खरीदी के अंतिम दिनों में सबसे ज्यादा गड़बड़ी होती है। रिक्त रकबे को समर्पित करने के बजाय कोचिए सेटिंग कर लेते हैं। इसमें बाहरी धान खपाकर राशि आपस में बांट ली जाती है। खरीदी होने के पहले ही केंद्रों में धान पहुंच जाता है। बुधवार को कलेक्टर ने चपले समिति में जांच की तो करीब 900 बोरा धान अधिक पाया गया। धान खरीदी में अब घपलों-घोटालों का समय आ गया है। समिति प्रबंधक और ऑपरेटर अब कोचियों से सांठगांठ में लग गए हैं।
कई केंद्रों में तो अतिशेष रकबे पर खपाने के लिए धान स्टेक में भी लग चुका है। इसे रोकने के लिए तैनात नोडल अफसर नियंत्रण खो चुके हैं। बुधवार को कलेक्टर के निरीक्षण में यह बात साबित भी हो गई। खाद्य विभाग, सहकारिता और मार्कफेड के अधिकारियों के साथ कलेक्टर ने चपले समिति में जांच की। यहां व्यवस्था को देखा। प्रबंधक गेंदलाल श्रीवास भी समिति में मौजूद थे। स्टॉक देखने पर पता चला कि खाद वितरण पंजी अपडेट ही नहीं की गई। पॉस मशीन और भौतिक सत्यापन करने पर पता चला कि यूरिया में कमी है।
सुपर फास्फेट भी करीब 67 बोरी कम पाया गया। इसी तरह धान का स्टॉक चेक किया गया तो केंद्र में 899 बोरा धान अधिक मिला। कुल खरीदी और उठाव के बाद बचे धान की गणना की गई। इतना ज्यादा धान एडवांस में ही मंगवाकर रख लिया गया था। इस संबंध में प्रबंधक कोई जवाब नहीं दे सका। कलेक्टर ने कृषि विभाग और सहकारिता विभाग को प्रकरण बनाकर प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
दागी समितियों में जांच नहीं
जिन समितियों में पिछले साल भारी शॉर्टेज आया था, वहां भी जांच नहीं हो रही है। स्टॉक वेरीफिकेशन ही नहीं किया जा रहा है। भंडारित बारदानों के हिसाब से धान का मिलान नहीं किया जा रहा है। सीमावर्ती केंद्रों में ओडिशा और झारखंड से धान आ रहा है। कुछ समितियों में बोगस खरीदी भी हो चुकी है जिसे अंत में ्रमैनेज किया जाएगा। शॉर्टेज पर कार्रवाई के बजाय धान लाकर भरपाई कराई जाती है। इसी वजह से रायगढ़ के केंद्रों में घपला होता है।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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