किसके संरक्षण में वन एवं पर्यावरण क्लीयरेंस सीटीओ समाप्त होने के बाद भी धड़ल्ले से होता रहा कोयला का उत्पादन ?

क्या वन विभाग, डीजीएमएस और विजलेंश जैसे जांच एजेंसियों की मिली मैं स्वीकृति ?

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भटगांव भूमिगत कोयला खदान का वन एवं पर्यावरण क्लीयरेंस (CTO) समाप्त हो चुका है फिर भी संबंधित खदान के जिम्मेदार अधिकारियों और एसईसीएल महाप्रबंधक भटगांव प्रदीप कुमार के मनमानी के कारण कोयला का उत्पादन खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए किया जा रहा है

मोहन प्रताप सिंह

राजधानी से जनता तक. सूरजपुर/भटगांव:– एसईसीएल भटगाँव क्षेत्र में सारे नियम कायदों को ताक में रखकर शिवानी भूमिगत खदान के वन्य पर्यावरण क्लीयरेंस (CTO) समाप्ति होने के बाद भी लगातार कोयले का उत्पादन होना बहुत बड़े भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करता है। इस मामले की शिकायत सबूतों के साथ वन विभाग कार्यालय छत्तीसगढ़ शासन रायपुर और वन विभाग प्रमुख सूरजपुर कार्यालय को किये जाने के बाद भी किसी प्रकार की कोई कार्यवाही का न किया जाना ही भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा सबूत प्रस्तुत करता है।

लगातार होते रहा उत्पादन और जिम्मेदार बने रहें मूक दर्शक

शिवानी भूमिगत खदान के एल 1 सीप के एल 9 से लगातार महाप्रबंधक प्रदीप कुमार के आदेशा अनुसार सीटीओ समाप्ति व खदान बंद होने के बाद भी लगातार कोयले का उत्पादन खुलेआम कराया गया है साथ ही पूरे माह भर से अधिक उस उत्पादित डोयलो को शिवानी से सीएचपी भटगाँव तक डिस्पैच भी कराया गया है, जिसका पास (वाहन जो ट्रांसपोर्ट करती है) जारी होना वह भी प्रत्येक दिवस का सबसे बड़ा सबूत जो की वन विभाग के अधिकारियों को दिया जा चूका है। यह वाहन ट्रांसपोर्ट पास एसईसीएल भटगांव शिवानी खान प्रबंधक द्वारा जारी किया जाता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि शिवानी भूमिगत खदान बंद होने के बाद भी लगातार खदान से कोयले का उत्पादन किया गया है। एसईसीएल महाप्रबंधक भटगांव और वन विभाग का अच्छा तालमेल और साठ गांठ होने के कारण आज भी कोयला का उत्पादन भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा सबूत है।

कोल माइंस एक्ट के तहत सीटीओ समाप्त होने नहीं किया जा सकता उत्पादन

कोल मांइस एक्ट, रूल्स, रेगुलेशन (1957/2017) के नियमानुसार कोपला मंत्रालय का स्पष्ट निर्देश है कि जितने भी कोयला खदान का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का अनुमति प्रमाण पत्र (CTO) समाप्त हो उस खदान से कोयला का उत्पादन नहीं किया जा सकता व वन विभाग द्वारा खदान बंद करने के का आदेशों का पालन के लिए जिम्मेदार होता है लेकिन वन विभाग ऊपर से नीचे तक रिश्वत व कमीशन पर मेहरबान होकर सभी नियम कानूनों को सिथिल कर बंद खदान से उत्पादन करने को खुली छूट दे रखी है।

क्या भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने हो चुका डील ?

आखिर इतने बडे भ्रष्टाचार कि शिकायत करने पर भी वन विभाग, डीजीएमएस और विजलेंश जैसे जांच एजेंसियों का मौन सहमति साफ इशारा करता है की डील हो चुका है।

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