चरण सिंह क्षेत्रपाल/ राजधानी से जनता तक
गरियाबंद – कुपोषण भगाने की खानापूर्ति पोषण आहार के नाम पर सिर्फ आलू,दाल पानी व सोया बड़ी, कहीं आंगनबाड़ी केंद्र नहीं, जहां है भी तो वहां कार्यकर्ता का कब्जा। प्रशासन का दावा है कि कुपोषण भगाने के लिए विकास खण्ड में बच्चों को पौष्टिक आहार और गरम भोजन दिया जा रहा है। रिकार्ड के मुताबिक विकास खण्ड में
0 से 6 माह के 792 बच्चे हैं,6 माह से 3 साल के 4572 बच्चे,3 साल से 5 साल के बच्चे 5298 , और 972 गर्भवती महिलाओं को भी देखरेख की जाती है। लेकिन जब दैनिक अखबार’ राजधानी से जनता तक’ ने ग्रामीण जनताओं से इनकी दिनचर्या को पूछताछ करने पर इनके आंतरिक रहस्य सबके सामने आया है। पोषण आहार के नाम पर दाल पानी भात,आलू और सोया बड़ी दिया जा रहा है।देवभोग विकास खण्ड में कुल 221 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में से 52 में स्वयं का भवन नही है। जहां पर भवन है तो भी वहां पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपनी डेरा जमाया हुआ है। जिला महिला बाल विकास के प्रभार में पूरी परियोजना चल रही है। आपके यह बता दें कि, विकास खण्ड में पोषक आहार और गरम भोजन पर करीबन 26 लाख रुपए खर्च होते है । वर्तमान में जिला महिला बाल विकास अधिकारी दीपा शाह के अतिरिक्त प्रभार में परियोजना का संचालन हो रहा है। जहां 25 से 30 दर्ज संख्या है, वहां 4-5 बच्चे पाए गए। जमीनी स्तर पर निरीक्षण के दौरान देवभोग क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र नवा गुड़ा में 26 बच्चे दर्ज है, और उपस्थित थे मात्र 5 बच्चे, पोष्टिक आहार के नाम पर उन्हें चावल, पतली दाल पानी,आलू, और सोया बड़ी परोसी जाती है। किंतु आंगनबाड़ी केंद्र में मीनु में यह प्रावधान यह है, कि जैसे भाजी,मुनगा, सुखी पत्ती वाली सब्जी,अचार पापड़, स्लाद आदि देने का है । इधर सुपेबेडा़ में 26 बच्चे दर्ज संख्या है, लेकिन बच्चे सिर्फ 5 केन्द्र में उपस्थित थे।
जांच के बाद कार्रवाई कि जायेगी -अशोक पाण्डेय
इस मामले में जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक पाण्डेय ने कहा कि आंगनबाड़ी भवन पर कार्यकर्ता अपनी डेरा जमाई हुई है तो ऐसे जानकारी सुनने को मिल रही है, अन्य सभी तथ्यों की जांच कर उचित कार्रवाई कि जायेगी।
लापरवाही और मनमाने की जांच होगी – एसडीएम देवभोग
अनुविभागीय अधिकारी तुलसीदास मरकाम ने बताया कि महिला बाल विकास विभाग में योजनाओं का संचालन सही ढंग से किया जा रहा है या नहीं इसकी अवलोकन कर लापरवाही बरतने पर व मनमानी ढंग से संचालित करने की जांच होगी और उचित कार्रवाई कि जायेगी।
मैदानी क्षेत्र में सूक्ष्मता से पूछताछ के दरम्यान ग्रामीण जनताओं के द्वारा बताई गई जानकारी के मुताबिक सरगीबहली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भवन में अपनी डेरा जमाई हुई है, और उसी जगह पर केंद्र संचालित है, किंतु भवन में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता खिरमनी बेहेरा अपने घरों की जरूरत मंद सामाग्रियों को भवन अंदर में रखी गई थी। कुछ वर्षों पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता खिरमनी बेहेरा लापरवाही बरतने पर उन्हें पद से हटा दिया गया था। किंतु आज वह किसी तरह से समस्या को सुलझा कर पुनः कार्यकर्ता में पदस्थ हुई है यह विभाग के अलावा अनुविभागीय अधिकारी तक भी शिकायत पहुंच चुकी है। पर पिछले सालों से समस्या जस का तस पड़ा हुआ है। कार्यकर्ता ने बताई कि ग्रामीण और विभाग के लोग मिलकर हटाने की साज़िश रची जाती है।
बच्चों की उपस्थित एक तिहाई भी नहीं है जैसे पुराना पानी,केंदूवन में केवल 3 बच्चे मिलें। उसी तरह से करलाबंदली केंद्र में भी 3 बच्चे थे, दरलीपारा का दोनों आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यकर्ता अपनी घरों में केंद्र संचालित हो रही है। एक में 3 तो दूसरे में 5 बच्चे मिलें।केंदूवन में भी कार्यकर्ता अपने घरों में केंद्र संचालित करती है। झाखरपारा में सरकारी भवन में संचालित होने वाले केन्द्र में केवल डालिमा यादव मौजूद थी, यहां 34 दर्ज है, मौके पर केवल 2 ही बच्चे दिखे,जब बर्तन खुलवाया गया तो मुश्किल से 10 लोगों का खाना बना मिला।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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