सरसीवा के शिक्षा अधिकार पर संकट — निहित स्वार्थी तत्वों की साजिश से सरकारी कॉलेज को दूरस्थ ग्राम में ले जाने का प्रयास*

संवाददाता अशोक मनहर

1. स्थानीय जनता में आक्रोश
2. बुद्धिजीवियों का कहना है सरसींवा में राजनीति है हावी
3. अनुसूचित जाति बाहुल्य यह क्षेत्र हमेशा से रह है उपेक्षित*

सरसिवा _नगर पंचायत सरसीवा के हजारों छात्रों, अभिभावकों और जागरूक नागरिकों के शिक्षा अधिकार पर मंडरा रहे खतरे को लेकर अब जनआंदोलन का स्वर तेज हो गया है। वर्ष 2020-21 में छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सरसीवा में शासकीय महाविद्यालय स्वीकृत किया गया था। अधिसूचना जारी होने से लेकर बजट प्रावधान एवं भवन निर्माण हेतु भूमि चिन्हांकन तक की प्रक्रिया सरसीवा में पूर्ण हो चुकी है। इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर कुछ निहित स्वार्थी तत्वों—विशेषकर निजी महाविद्यालय संचालकों—के दबाव में इस कॉलेज को सुदूरवर्ती ग्राम धोबनी में स्थानांतरित करने की गलत पहल की जा रही है, जिससे क्षेत्र के युवाओं का भविष्य दांव पर लग गया है। वहीं लोगों को कहना है कि अनुसूचित जाति बाहुल्य यह क्षेत्र हमेशा से यहां की स्वार्थी और ओछी राजनीति के चलते उपेक्षित रहा है । आमजन के कहना है पूर्व विधायक एवं संसदीय सचिव चंद्रदेव राय के कार्यकाल में ही क्षेत्र के विकास को गति मिलते हुए दिखी । सरसींवा क्षेत्रवासियो के बहुप्रतीक्षित मांग सरसींवा में तहसील और नगरपंचायत सहित महाविद्यालय का स्वप्न पूर्व विधायक के कार्यकाल में ही पूर्ण होते दिखा जहाँ अब सत्ता परिवर्तन बाद क्षेत्र में फिर से राजनीति हावी हो चुकी है ।

सरसीवा की जनसंख्या, पहुंच और सुविधाएँ

महाविद्यालय स्थापना के लिए सर्वाधिक उपयुक्त
तथ्यों की दृष्टि से देखें तो सरसीवा और धोबनी के मध्य परिस्थितियाँ बिल्कुल भिन्न हैं। जहाँ सरसींवा पूरे क्षेत्र का एक केंद्र बिंदु व बड़ा व्यापारिक केंद्र है । जहाँ मुख्य मार्ग पर बसे सरसींवा नगर में चारों ओर से आवागमन की सुविधा है ।

सरसीवा की अनुमानित जनसंख्या 22,000+, जबकि धोबनी की जनसंख्या मात्र 3,000 से भी कम।

प्रति वर्ष 12वीं उत्तीर्ण होने वाले छात्र सरसीवा में 850+, जबकि धोबनी में यह संख्या 80 से भी कम।

सरसीवा एक विकसित नगर पंचायत, वहीं धोबनी एक साधारण ग्राम पंचायत मात्र।

सरसीवा NH-130B से जुड़ा हुआ है जहां 60 से अधिक दैनिक बसें, यातायात सुविधा उपलब्ध है।

सरसीवा आसपास के 40+ गाँवों का वाणिज्यिक व शैक्षणिक केंद्र है और अधिकांश BPL परिवारों के बच्चों के लिए यही सबसे सुलभ शिक्षा केंद्र है।

इन सभी आंकड़ों से स्पष्ट है कि शासकीय महाविद्यालय का वास्तविक, तर्कसंगत और रणनीतिक स्थान केवल और केवल सरसीवा ही है। धोबनी में महाविद्यालय स्थापित करना न तो शैक्षणिक दृष्टि से लाभकारी है, न ही जनहित में। आज क्षेत्र के छात्र छात्राओ को हायर सेकेंडरी परीक्षा उतीर्ण करने के बाद उच्च शिक्षा हेतु भटकना पड़ता है वहीं दूरी और उचित आर्थिक स्थिति न होने से प्रति वर्ष सैकड़ो छात्र छात्राओं को अपनी पढ़ाई स्थगित करनी पड़ जाती है । शिक्षा कोई राजनीतिक मुद्दा नही यह छात्र छात्राओं के भविष्य का सवाल है । जिसमें सरसींवा के हक की लड़ाई के लिए सर्वसमाज को एकजुट होना चाहिए ।

जनता की दो-टूक मांग: महाविद्यालय केवल सरसीवा में ही—किसी भी प्रकार का स्थानांतरण स्वीकार नहीं सरसीवा के सतनामी, साहू, यादव, केवट, मारार, आदिवासी सहित विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों, युवाओं, छात्रों एवं अभिभावकों ने एक स्वर में निर्णय लिया है कि शिक्षा के इस मौलिक अधिकार से किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसी तारतम्य में एक दिवसीय शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन हेतु तहसीलदार सरसीवा से विधिवत अनुमति प्रदान करने का आवेदन प्रस्तुत किया गया है।

स्थानीय नागरिकों का कहना:

सरकारी कॉलेज को सरसीवा से स्थानन्तरित करने का प्रयास हजारों गरीब और मध्यमवर्गीय छात्र छात्राओं व उनके परिवारों के भविष्य पर कुठाराघात है। यह सरसीवा की पीढ़ियों के सपनों को तोड़ने जैसा है।

सरसीवा में सरकारी महाविद्यालय की स्थापना केवल एक प्रशासनिक आवश्यकता नहीं, बल्कि क्षेत्रीय विकास, सामाजिक न्याय और शिक्षा अवसरों की समान उपलब्धता का प्रश्न है। यदि कॉलेज को धोबनी स्थानांतरित करने की कोशिशें जारी रहीं, तो स्थानीय जनता बड़े स्तर पर लोकतांत्रिक संघर्ष के लिए बाध्य होगी।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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