ग्राम विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार की गूंज, कागजों पर काम, जमीन पर धोखा।

फर्जी फोटो, सादा बिल और मनमानी का खेल, पंचों के सवाल पर सरपंच ने कहा, मैं पांच साल की रानी हूं, जो मन में आएगा वही करूंगी।
मोहन प्रताप सिंह
राजधानी से जनता तक, सूरजपुर/ओड़गी:– अगर पंचायत ईमानदार हो, तो गांव तरक्की करता है… लेकिन अगर पंचायत ही फर्जीवाड़े का अड्डा बन जाए, तो विकास की जगह विनाश होता है।
ऐसा ही मामला सामने आया है जनपद पंचायत ओड़गी के ग्राम पंचायत धूर से, जहां 15वें वित्त आयोग की राशि से बिना कार्य किए ₹3.53 लाख रुपये की निकासी का बड़ा मामला उजागर हुआ है।
ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत में सीसी रोड, नहानी घर और हैंडपंप निर्माण कार्य के नाम पर राशि स्वीकृत हुई थी, लेकिन धरातल पर कोई कार्य नहीं हुआ। फिर भी पंचायत अधिकारियों ने फर्जी फोटो अपलोड कर ऑनलाइन रिपोर्ट तैयार की और भुगतान प्राप्त कर लिया।

फर्जी भुगतान की पूरी कहानी, बिल सादा, फोटो फर्जी और काम गायब
ग्रामीणों के अनुसार, पंचायत भवन की मरम्मत और नाली निर्माण कार्यों में बड़ी हेराफेरी की गई। बिना कार्य किए सादा बिल लगाकर और मनगढ़ंत फोटो खींचकर रकम निकाल ली गई।
फर्जी आहरण की पूरी सूची इस प्रकार है
पंचायत भवन मरम्मत : ₹1,00,000, पंचायत भवन मरम्मत : ₹1,00,000, पंचायत भवन मरम्मत : ₹10,000, नाली निर्माण कार्य : ₹84,000, नाली निर्माण कार्य : ₹24,500, नाली निर्माण कार्य : ₹14,700, सामग्री भुगतान : ₹20,000कुल फर्जी आहरण राशि — ₹3,53,200 (तीन लाख तिरपन हजार दो सौ रुपये मात्र)
ग्रामीणों का कहना है कि यह राशि किसी भी वास्तविक कार्य पर खर्च नहीं हुई, बल्कि सरपंच और सचिव ने आपस में बांट ली।
पंचों की पूछताछ पर सरपंच भड़की, मैं भाजपा की महामंत्री हूं, जो चाहूंगी वही करूंगी
जब पंच हीरामणी नगेसिया और अन्य पंचों ने पंचायत में हो रहे अनियमितताओं पर सवाल उठाया, तो सरपंच ने कथित तौर पर अभद्र व्यवहार और धमकी दी।
ग्रामीणों के अनुसार, सरपंच ने खुलेआम कहा मैं भाजपा की महामंत्री और सरपंच हूं, जो मन में आएगा वही करूंगी। मैं किसी से नहीं डरती, पांच साल तक मैं यहां की रानी हूं।
विरोध करने पर सरपंच ने मारपीट की कोशिश भी की। इस घटना से पंचायत में हड़कंप मच गया और ग्रामीणों ने इस व्यवहार को लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान बताया।
ग्रामीणों की आवाज, जनता के पैसे से हो रहा निजी ऐशो-आराम
ग्रामीणों का कहना है कि यह पूरा मामला सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि जो राशि विकास कार्यों में लगनी चाहिए थी, वह कागजों के खेल में हड़प ली गई।
ग्रामीणों ने मांग की है कि सरपंच और सचिव के खिलाफ कठोर जांच और कार्रवाई हो। यह जनता की गाढ़ी कमाई है, किसी की निजी संपत्ति नहीं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया, मामले की जांच जारी, दोषियों पर होगी कार्रवाई
इस प्रकरण पर जनपद पंचायत ओड़गी के सीईओ नीलेश सोनी ने कहा कि मामले की जांच कराई जा रही है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो संबंधितों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शासन की किसी योजना के तहत हुई अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पंचायतों में बढ़ता भ्रष्टाचार, जनता पूछ रही, जवाबदेही आखिर कहां है?
धूर पंचायत का यह मामला सिर्फ एक पंचायत की कहानी नहीं, बल्कि उस प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह है, जो गांव के विकास की नींव मानी जाती है। हर पंचायत में यदि पारदर्शिता की जगह राजनीति, जिम्मेदारी की जगह अहंकार हावी हो जाए, तो विकास केवल फाइलों और फोटो तक सीमित रह जाएगा।
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन अगर इस मामले में सख्ती नहीं दिखाता, तो आने वाले दिनों में वे सामूहिक विरोध प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।
विकाश की राह पर भ्रष्टाचार की दीवार
धूर पंचायत में उजागर यह फर्जीवाड़ा ग्रामीण विकास योजनाओं पर गहरी चोट है। जनता का विश्वास तभी लौटेगा, जब ऐसे मामलों में कड़ी जांच, पारदर्शी कार्रवाई और दोषियों को सजा दी जाएगी। वरना यह सवाल हमेशा गूंजता रहेगा कि जब विकास के पैसे से भ्रष्टाचार पनपता है, तब गांव कैसे आगे बढ़ेगा?




