रायगढ़ मरीन ड्राइव के नाम पर बर्बादी की पटकथा!—बिना पुनर्वास तोड़े गए आशियाने, प्रशासनिक अमानवीयता पर उठे सवाल

राजधानी से जनता तक

रायगढ़-:शहर में बहुप्रचारित ‘मरीन ड्राइव परियोजना’ अब विकास का नहीं, बर्बादी का प्रतीक बनती जा रही है। जेलपारा और प्रगति नगर क्षेत्र में शनिवार को नगर निगम द्वारा भारी पुलिस बल और बुलडोज़रों की मौजूदगी में अंधाधुंध ढंग से की गई मकान तोड़फोड़ ने सैकड़ों परिवारों को सड़क पर ला खड़ा किया है।

बिना वैकल्पिक व्यवस्था, समयबद्ध नोटिस या मानवीय संवाद के—जिस तरह मकानों पर बुलडोज़र चलाया गया, उससे प्रशासन की संवेदनहीनता और एकतरफा रवैये पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

नगर निगम के अनुसार, यह कार्रवाई “शहर के सौंदर्यीकरण और ट्रैफिक सुधार” के उद्देश्य से की जा रही है, लेकिन स्थानीय रहवासी इसे सीधा अन्याय और उजाड़ने की नीति करार दे रहे हैं।

अचानक पहुंचे बुलडोज़र, मोहल्ला बना मलबे का ढेर*

शनिवार सुबह जैसे ही नगर निगम की टीम पुलिस फोर्स के साथ क्षेत्र में पहुंची, लोगों में अफरा-तफरी मच गई। देखते ही देखते मकानों पर बुलडोज़र चलने लगे। कई परिवारों को अपना सामान तक समेटने का मौका नहीं मिला।करीब 35 से ज्यादा घरों को ढहा दिया गया, और कार्रवाई अब भी जारी है। लोग रोते-बिलखते रह गए, पर मशीनें नहीं रुकीं

20-25 साल से रह रहे लोग हुए बेघर

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि वे 20 से 30 वर्षों से यहां निवासरत हैं, उनके पास निवास प्रमाण, बिजली कनेक्शन और वोटर आईडी तक है। इसके बावजूद उन्हें “अवैध कब्जेदार” बताकर हटाया जा रहा है।

एक महिला निवासी ने आंसुओं के साथ कहा—

“हमसे हमारे बच्चों की छत छीन ली गई, क्या यही विकास है?”

नगर निगम का दावा बनाम जमीनी सच्चाई

नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि नोटिस पहले ही जारी कर दिए गए थे, लेकिन रहवासियों का दावा है कि उन्हें सिर्फ मौखिक चेतावनी दी गई थी, और वह भी कार्रवाई से एक-दो दिन पहले। न तो कोई पुनर्वास प्रस्ताव दिया गया, न किराया या वैकल्पिक आवास की कोई योजना।

महिलाओं का उग्र विरोध – “पहले पुनर्वास, फिर विकास”

जब मकानों पर बुलडोज़र चलना शुरू हुआ, तब मोहल्ले की महिलाएं सड़कों पर उतर आईं। उन्होंने मशीनों के सामने खड़े होकर विरोध किया और नारेबाज़ी शुरू कर दी।

महिला कांग्रेस की कार्यकर्ताओं ने भी मौके पर पहुँचकर प्रशासनिक कार्रवाई का घेराव किया और स्पष्ट कहा:

 

> “हम विकास के विरोधी नहीं, लेकिन बर्बादी के रास्ते से विकास नहीं चाहिए!”

क्षेत्र बना पुलिस छावनी, हर गली में तैनात जवान

स्थिति को भांपते हुए प्रशासन ने शुक्रवार रात ही जेलपारा और प्रगति नगर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया था। एसपी, एसडीएम सहित वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद रहे, पर लोगों के आक्रोश को नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा था।

 

अब क्षेत्र में भारी तनाव बना हुआ है, और प्रशासनिक अधिकारी लगातार निगरानी में जुटे हैं।

प्रशासन पर उठे तीखे सवाल

क्या बिना पुनर्वास या वैकल्पिक व्यवस्था के घर तोड़ना न्यायसंगत है?

क्या गरीबों की बस्तियों को उजाड़कर ही होगा शहर का विकास?

क्या विकास का पैमाना केवल सड़क और इमारतें हैं, इंसान नहीं

 

*चुप्पी साधे जनप्रतिनिधि, संघर्ष की आहट तेज*

 

चौंकाने वाली बात यह है कि इस गंभीर मसले पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी अब जनता को खटकने लगी है। लोगों का कहना है कि वे चुनावों में वोट मांगते हैं लेकिन अब साथ नहीं खड़े।

 

वहीं, महिला कांग्रेस, समाजिक संगठन और स्थानीय रहवासी इस मुद्दे को अब रायपुर मंत्रालय और विधानसभा तक ले जाने की तैयारी में हैं। यदि जल्द कोई मानवीय समाधान नहीं निकाला गया, तो जन आंदोलन तेज होने की आशंका है।

 

 

रायगढ़ की मरीन ड्राइव परियोजना प्रशासनिक जिद और असंवेदनशील योजना-निर्माण का जीवंत उदाहरण बन रही है। अगर विकास की बुनियाद किसी गरीब के टूटे घर की दीवारों पर रखी जाएगी, तो ये सवाल केवल ज़मीन का नहीं, बल्कि इंसानियत और व्यवस्था के मूल्यों का होगा।

मकान तो बन जाएंगे फिर से, पर उजड़ा हुआ भरोसा कौन लौटाएगा?”

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Author: Rajdhani Se Janta Tak

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